गणतंत्र दिवस परेड पर गेस्ट बने गार्डनर ने की PM मोदी से ये खास अपील
गणतंत्र दिवस परेड पर गेस्ट बने गार्डनर ने की PM मोदी से ये खास अपील
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नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को देशभर में धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाया गया। खास बात ये रही कि इस बार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट एवं कर्तव्य पथ के निर्माण कार्य से जुडे़ श्रमजीवियों (मजदूरों) को परेड देखने के लिए स्पेशल पास दिया गया। इन्हें पहली पंक्ति में VVIP की जगह बैठाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इन श्रमजीवियों का अभिवादन भी किया। इन श्रमजीवियों में गार्डनर सुख नंदन भी सम्मिलित थे। सुख नंदन ने बताया कि जब प्रधानमंत्री मोदी उनसे मुलाकात करने पहुंचे तो पीएम को इतना पास पाकर वे बहुत खुश हो गए। मगर जब उनसे पूछा गया कि यदि उन्हें अवसर प्राप्त होता तो वे प्रधानमंत्री मोदी से क्या कहते? इस पर उन्होंने बताया कि उनके पुराने ठेकेदार ने उनकी 44 दिन की मजदूरी का भुगतान नहीं किया, ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी से मजदूरी दिलाने की अपील करेंगे। 

प्राप्त खबर के अनुसार, सुख नंदन मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी को इतने नजदीक से देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने बताया कि जब प्रधानमंत्री मोदी पास आए एवं उन्होंने हाथ हिलाकर अभिवादन किया, तो वे बहुत खुश थे। उन्होंने कहा, मैं ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बनकर खुश हूं। मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मुझे गणतंत्र दिवस पर स्पेशल गेस्ट बनूंगा। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि यदि उन्हें अवसर प्राप्त होता, तो वे प्रधानमंत्री मोदी से क्या कहते? इस पर उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी से बोलता कि वे मेरी मजदूरी दिलाने में सहायता करें। नंदन बीते 2 महीने से इंडिया गेट पर हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं। इससे पहले वे एक ठेकेदार के माध्यम से आंध्र भवन में काम कर रहे थे।   

नंदन ने बताया कि ठेकेदार ने उनका 44 दिन का वेतन देने से मना कर दिया। नंदन का दावा है कि उनके पास मौजूदगी रजिस्टर की कॉपी भी है, इससे वे 44 दिन तक अपनी मौजूदगी साबित कर सकते हैं। नंदन इंडिया गेट के पास बने अस्थाई टेंट में अपने बच्चे और पत्नी के साथ रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि ठेकेदार उनकी सैलरी देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में मैंने उनका ब्रश कटर लौटाने से मना कर दिया। नंदन ने बताया, उन्होंने ठेकेदार से कह दिया है कि वह मेरी सैलरी दे दे तथा अपना सामान वापस ले जाए। स्थानीय निकाय कामों के लिए निजी ठेकेदारों को आउटसोर्स करते हैं। ये ठेकेदार सरकार द्वारा निर्धारित दर पर भुगतान करने के वादे के साथ श्रमिकों को काम पर रखते हैं। कई बार इन मजदूरों का शोषण किया जाता है तथा ठेकेदारों द्वारा किसी न किसी बहाने से वेतन देने से मना कर दिया जाता है। नंदन के अनुसार, गार्डनर की सैलरी स्थानीय निकाय द्वारा 14,586 रुपए तय किया गया है। ऐसे में मेरी 44 दिन की सैलरी लगभग 21000 रुपए हो गई। लेकिन ठेकेदार सिर्फ 6,000 रुपए देने की बात कर रहा है। इतना ही नहीं नंदन ने बताया कि ठेकेदार उन्हें उसके सामान के लिए FIR की भी धमकी दे रहा है। उन्होंने कहा कि यदि मुझे सरकार से कोई सहायता मिलती है, तो मैं शुक्रगुजार रहूंगा। वहीं, जब नंदन के पुराने ठेकेदार जितेन उपाध्याय से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि कुछ विवाद के चलते सैलरी का भुगतान नहीं किया गया है। ठेकेदार ने कहा कि मुझे लगता है कि 21000 रुपए बाकी नहीं है। इसके बाद भी वह ब्रश कटर नहीं दे रहा है। उसे पहले वह लौटाना होगा। 

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