धूमधाम से गणपति का स्वागत करने के साथ-साथ विसर्जन भी करे धूमधाम से...
धूमधाम से गणपति का स्वागत करने के साथ-साथ विसर्जन भी करे धूमधाम से...
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प्रथम पूजनीय प्रभु श्रीगणेश के जन्मोत्सव के मौके पर प्रत्येक वर्ष होने वाले गणेश पर्व का आगाज 10 सितंबर से हो चुका है। गणेश जी के भक्तों ने पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की स्थापना अपने घरों में की है। चूंकि गणेश उत्सव के चलते गणेश जी मेहमान बनकर घर आते हैं। वे भक्तों के घर में 5 या ​7 दिनों या अनंत चतुर्दशी के दिन तक विराजते हैं। तत्पश्चात, उनका विसर्जन कर दिया जाता है। ज्यादातर लोग अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन करते हैं। गणेश जी के आगमन की भांति ही उनका विसर्जन भी धूमधाम से किया जाता है। विसर्जन के चलते भक्त पुष्प तथा अबीर को उड़ाते हुए ढोल नगाड़ों और गानों पर नाचते हुए गणेश जी को शहर भर में घुमाते हैं। तत्पश्चात, भावुक मन से उन्हें विदाई देते हैं। इस बार अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर रविवार को है। 

क्यों किया जाता है विसर्जन:-
विसर्जन का मतलब होता है, जल में विलीन होना। ये प्रकृति पांच तत्वों से मिलकर बनी है। जल इन 5 तत्वों में से एक है। ऐसे में जब हम किसी भी देवी अथवा देवता को कुछ विशेष वक़्त तक के लिए घर में सम्मान के साथ लेकर आते हैं, तो उन्हें वापस भी भेजना होता है। ऐसे में प्रकृति की गोद में मतलब जल में उनको विसर्जित करके, हम उन्हें सम्मानपूर्वक उनके धाम भेजने का आग्रह तथा अगले वर्ष फिर से आने का निमंत्रण देते हैं। मगर विसर्जन के कुछ नियम होते हैं। उनका पालन अवश्य करना चाहिए।

जानिए विसर्जन की विधि:-
सबसे प्रथम लकड़ी के एक पाटे को अच्छे से धोकर, गंगाजल से साफ करें तथा उसे साफ कपड़े से साफ़ करके उस पर स्वास्तिक बनाएं। तत्पश्चात पाटे पर अक्षत रखें तथा पीला या गुलाबी वस्त्र बिछाएं।
तत्पश्चात गणेश की प्रतिमा को उठाकर जयकारा लगाते हुए उस पाटे पर रख लें। इसके पश्चात् फिर से उनको तिलक, अक्षत, वस्त्र, फल, फूल तथा मिष्ठान चढ़ाएं। आरती करें और भोग लगाएं।
अब एक रेशमी वस्त्र लेकर उसमें मिष्ठान, दूर्वा घास, दक्षिण तथा सुपारी बांधें तथा इसकी पोटली बनाकर गणेश जी के साथ ही बांध दें। इसके पश्चात् उनसे अपनी त्रुटियों की ​क्षमायाचना करें। दुखदर्द दूर करने की कामना करें।
तत्पश्चात, गणेश जी को पाटे सहित उठाते हुए गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगाते हुए भ्रमण कराएं तथा पूरे मान सम्मान के साथ उन्हें विसर्जित करें। इसके पश्चात् गणेश जी की पूजा में इस्तेमाल की गई हर चीज को भी सम्मानपूर्वक विसर्जित कर दें।

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