JNU का गंगा ढाबा खाली करने के आदेश से छात्रों में बढ़ी नाराजी
JNU का गंगा ढाबा खाली करने के आदेश से छात्रों में बढ़ी नाराजी
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नई दिल्ली - पिछले तीन दशकों से जेएनयू कैम्पस में परिवर्तनों और आन्दोलनों का गवाह रहा गंगा ढाबा को लेकर चर्चाएं जोरों पर है कि क्या गंगा ढाबा बन्द हो जाएगा ? फ़िलहाल जेएनयू प्रशासन ने मशहूर गंगा ढाबा को बंद करने का आदेश दिया है. अब इसे लेकर जेएनयू प्रशासन की मंशा को लेकर सवाल उठ रहे हैं.जिसके बाद छात्रों में नाराजगी है.छात्र इस फरमान के खिलाफ खड़े हो गये हैं. कल छात्रों ने जेएनयू प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ नारेबाजी भी की.

गौरतलब है कि गंगा ढाबा कैंपस की पहचान बन चुका है. जेएनयू में राजनीति करने वाले छात्र मानते हैं कि ये ढाबा सिर्फ खाने का ही नहीं बल्कि जेएनयू के विचारों का एक केंद्र है. गंगा ढाबा को कैंपस की नाइट लाइफ का अहम हिस्सा माना जाता है. आधी रात तक यहां छात्रों का मजमा लगता है. देसी-विदेशी मुद्दों पर चर्चा होती है. नेता चाय की चुस्कियों के साथ रणनीति बनाते हैं. रात को आपको कहीं खाना और चाय भले ही न मिले लेकिन इस जगह आपको चाय, पानी, खाना सब कुछ मिल जाता है.

इस गंगा ढाबा को खाली करने के सवाल पर जेएनयू प्रशासन का कहना है कि जिनके नाम पर करार था अब वो नहीं हैं लिहाजा ढाबा गैरकानूनी तरीके से चल रहा है. इसलिए नए सिरे से अलॉट किया जाएगा. बता दें कि 1985 से चल रहा गंगा ढाबा पहले तेजबीर सिंह ने नाम पर अलॉट था. उनकी मौत के बाद पत्नी सुमन के नाम पर ट्रांसफर हुआ फिर उनके जाने के बाद बेटे भरत तोमर इसे चला रहे हैं. जो भी हो लेकिन इस प्रसिद्ध गंगा ढाबा को लेकर जहां छात्रों को वैचारिक अड्डे की चिंता है तो यहां काम करने वाले लोगों की रोजी रोटी पर सवाल खड़ा हो रहा है.

JNU की छात्राएं करती हैं प्रोफेसरों के बिस्तर गर्म

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