हरा और लाल है श्री गणेश का रंग, अपने टूटे दांत से लिखी थी महाभारत
हरा और लाल है श्री गणेश का रंग, अपने टूटे दांत से लिखी थी महाभारत
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इन दिनों गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में आज हम आपको शिव पुराण के अनुसार गणेश जी से जुड़े कुछ तथ्य. शिव पुराण के अनुसार मां पार्वती की सहेली जया और विजया ने गणेश जी को बनाने का सुझाव दिया था और उन्‍होंने मां पार्वती को कहा कि नंदी और अन्‍य भक्‍त केवल महादेव के ही आदेश का पालन करते हैं इसलिए कोई तो ऐसा होना चाहिए जो केवल उनकी बात सुने.

इस कारण से मां पार्वती ने अपने शरीर के मैल से भगवान गणेश का निर्माण किया था. शिव महापुराण के अनुसार भगवान गणेश के शरीर का रंग हरा और लाल है. जी दरअसल ब्रह्मवर्ती पुराण के अनुसार पुत्र की प्राप्‍ति के लिए मां पार्वती ने पुण्‍यक व्रत रखा था और इसी व्रत के फलस्‍वरूप भगवान कृष्‍ण ने मां पार्वती के यहां पुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. कहते हैं ब्रह्मवावर्त पुराण के अनुसार जब सभी देवी-देवता भगवान गणेश को अपना आशीर्वाद दे रहे थे तब शनि देव उनसे मुंह फेरकर खड़े थे. जब मां पार्वती ने शनि देव से उनके इस कृत्‍य का कारण पूछा तो उन्‍होंने कहा कि अगर उनकी सीधी दृष्टि गणेश जी पर पड़ गई तो उनका सिर धड़ से अलग हो जाएगा, लेकिन मां पार्वती ने उनकी एक बात नहीं मानी और उन्‍हें गणेश जी की ओर देखकर आशीर्वाद देने को कहा. इस वजह से गणेश का सिर उनके धड़ से अलग हुआ था.

इसी के साथ ब्रह्मवावर्त पुराण की मानें तो शनि देव की सीधी दृष्टि गणेश जी पर पड़ने के दौरान उनका सिर धड़ से अलग हो गया था. तब भगवान श्री हरि ने अपने गरुड़ पर सवार होकर उत्तर दिशा की ओर पुष्‍पभद्रा नदी के पास एक हथिनी के पास सो रहे उसके शिशु का सिर लाकर भगवान गणेश के सिर पर लगाया और उन्‍हें नया जीवनदान दिया.वहीं ब्रह्मवावर्त पुराण के अनुसार भगवान शिव ने क्रोध में आकर त्रिशूल से सूर्य देव पर प्रहार किया था और तब सूर्य देव के पिता ने क्रोधित होकर भगवान शिव को ये श्राप दिया था कि एक दिन उनके बेटे का सिर भी उसके शरीर से अलग हो जाएगा. कहते हैं एक दिन तुलसी देवी गंगा के किनारे बैठी थीं. उस समय भगवान गणेश वहीं पर ध्‍यान कर रहे थे. तुलसी देवी ने भगवान गणेश के सामने विवाह का प्रस्‍ताव रखा लेकिन उन्‍होंने अस्‍वीकार कर दिया. तब तुलसी ने उन्‍हें श्राप दिया कि जल्‍द की उनका विवाह होगा और इसके बदले में गणेश जी ने तुलसी को पौधा बन जाने का श्राप दिया था. वहीं शिव महा पुराण के अनुसार गणेश जी का विवाह ऋद्धि और सिद्धि से हुआ था और उनके दो पुत्र हैं शुभ और लाभ.

इसी के साथ शिव महापुराण के अनुसार‍ जब परशुराम जी भगवान शिव से मिलने कैलाश गए थे तब भगवान शिव ध्‍यान मग्‍न थे और उस समय भगवान गणेश ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने से मना कर दिया था. तब क्रोध में आकर परशुराम जी ने भगवान शिव के दिए शस्‍त्र से ही भगवान गणेश पर आक्रमण कर दिया था और गणेश जी ने अपने पिता द्वारा दिए गए शस्‍त्र के सम्‍मान में उस प्रहार को अपने दांतों पर ले लिया था जिस वजह से उनका एक दांत टूट गया था. बस उसी के बाद से उन्‍हें एकदंत के नाम से जाना जाता है. आपको बता दें कि महाभारत को भगवान गणेश ने लिखा टूटे दांत से लिखा था.

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