बंगलूरू: भारत के अंतरिक्ष में पहले मानव मिशन गगनयान के लिए 12 संभावनीय यात्रियों को चुना गया है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने गुरुवार को कहा हैं कि इसरो के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव पेशेवर तरीके से किया जा रहा है। बंगलूरू में आयोजित इंडियन सोसाइटी फॉर एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएसएएम) के 58वें वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल ने कहा हैं कि संभावित अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया जारी है। मेरा मनना है कि यह बहुत ही पेशेवर तरीके से किया जाएगा। इसरो के साथ बढ़ते संवाद से स्वयं चयन प्रक्रिया के प्रति समझ बढ़ गई है।
भारतीय वायुसेना की भूमिका के बारे में भदौरिया ने कहा हैं कि टीम इसरो के साथ समन्वय कर रही है और अंतरिक्ष यान के डिजाइन के पहलुओं को देख रही है, जैसे कि जीवन रक्षक प्रणाली, कैप्सूल का डिजाइन, साथ ही विमानन चिकित्सा प्रकोष्ठ यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इसरो चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर सफलता प्राप्त करे। सम्मेलन को संबोधित करते हुए वायुसेना के चिकित्सा सेवा के महानिदेशक एयर मार्शल एमएस बुटोला ने बताया हैं कि गगनयान के लिए यात्रियों के चयन का पहला चरण पूरा हो गया है और संभावित अंतरिक्ष यात्रा के लिए वायुसेना के चुने गए कुछ चालक दल सदस्यों का रूस में प्रशिक्षण भी पूरा हो गया है। उन्होंने कहा हैं कि जो काम उन्हें दिया गया था उसे समयबद्ध तरीके से पूरा किया गया है।
एक अफसर के अनुसार, वायुसेना के 12 लोगों को गगनयान परियोजना के लिए संभावनीय यात्री के रूप में चुना गया है और इनमें से सात प्रशिक्षण के लिए रूस गए हैं। अपनी पहचान जाहिर नहीं करते हुए अफसर ने कहा हैं कि रूस गए सात संभावित अंतरिक्ष यात्रियों के वापस आने के बाद चुने गए शेष संभावित यात्रियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। भारत का गगनयान पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है जिसे इसरो द्वारा दिसंबर 2021 तक प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसरो भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करने के लिए काम कर रहा है। अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा और यान में पर्याप्त ऑक्सीजन और गगनयान के यात्रियों के लिए जरूरी अन्य सामान के साथ कैप्सूल जुड़ा होगा। पहले गगनयान यात्रियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 30 साल रखी गई थी लेकिन इस आयु वर्ग का कोई भी पायलट शुरुआती परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सके जिसके बाद अधिकतम उम्र 41 साल कर दी गई।
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