क्या आप जानते हैं कौन है गाज माता, जानिए उनकी कहानी
क्या आप जानते हैं कौन है गाज माता, जानिए उनकी कहानी
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आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं गाज माता की कहानी, जो हर भक्त को सुननी चाहिए. आपको बता दें कि भादवा महीने में किये जाने वाले गाज माता के व्रत की पूजा के समय कही और सुनी जाती है. कहते हैं इससे व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है. तो आइए जानते हैं गाज माता की कहानी.

गाज माता की कहानी - एक राजा रानी थे. उनके एक लड़का था. उसे संन्तान सुख नहीं मिल पा रहा था. इसलिए वे दुखी थे. एक दिन रानी अपनी एक सहेली के पास गई. वह गाज माता की पूजा कर रही थी. रानी ने उसके साथ गाज माता की कहानी सुनी. वहीं पर उसने संकल्प लिया कि यदि उसकी बहु गर्भवती हो जाएगी तो वो सवा सेर का रोट चढ़ायेगी. कुछ समय बाद उसकी बहु गर्भवती हो गई. रानी ने रोट नहीं बनाया और कहा – यदि बहु को पुत्र प्राप्त हुआ तो सवा सेर रोट चढ़ा दूंगी. बहु के पुत्र भी हो गया. रानी ने फिर कहा – अभी नहीं , पोते की शादी होगी और उसके बच्चे होंगे तब रोट चढ़ा दूंगी.

गाज माता का दिन आया. रानी में आठ तार का धागा हल्दी से रंग कर बहु को दिया और उसे गले के मंगल सूत्र में बांधने के लिए कहा. बहु ने वैसा ही किया और धागा बांध लिया. रानी के बेटे ने जब वह धागा देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा. उसने कहा – हीरे मोती जड़े सुन्दर गहनों के बीच यह धागा क्यों बांध रखा है. इसे खोलो और फेंक दो. बहु ने कहा यह गाज माता का डोरा है. रानी का बेटा बोला – पढ़ी लिखी होकर ऐसी बातें क्यों मान लेती हो. बहु ने डोरा खोलकर रख दिया. रानी ने गाज माता के व्रत के लिए बहु का एक अलूना मोटा रोट बनाया. रानी के बेटे ने पत्नी को मोटा रोट खाते देखा तो कहने लगा – यह रोट मत खाओ , बच्चा छोटा है तुम्हारा दूध पीता है , उसका पेट दुखने लगेगा. पत्नी ने रोट नहीं खाया और नौकरानी को दे दिया. यह देखकर गाज माता को गुस्सा आ गया. उसी समय आंधी तूफ़ान चलने लगे. बादल गरजने लगे.

गाज माता गाजती घोरती आई और पालने सहित बच्चे को ले उठा ले गई और एक भीलनी के आँगन में रख दिया. भीलनी के कोई संतान नहीं थी. बच्चा देखकर वह बहुत खुश हुई. उधर महल में बच्चा खो जाने से हाहाकार मच गया. रानी सोचने लगी कि रोट नहीं चढ़ाया इसलिए बच्चा खो गया. बहु सोचने लगी कि मैंने डोरा खोल दिया और रोट नहीं खाया इसलिए यह सब हुआ है. दोनों ही गाज माता से क्षमा प्रार्थना करने लगी. रानी ने तुरंत गाज माता की पूजा की और सवा मन का रोट बनवाकर चढ़ाया.

भीलनी के मन में विचार आया कि जिसका बच्चा है वो दुखी हो रहा होगा. वह बच्चे को लेकर महल की तरफ आई तो उसे पता लगा कि वह बच्चा तो रानी का पोता है. उसने बच्चा ले जाकर रानी को दे दिया और कहा की यह बच्चा तूफ़ान में पालने सहित मेरे आँगन में आ गया था. रानी पोते को देखकर बहुत खुश हुई और भीलनी से कहा की यह गाज माता के कोप के कारण हुआ था. उन्ही के आशीर्वाद से अब हमें मिल भी गया है. भीलनी ने गाज माता के बारे पूछा तो रानी ने विस्तार से सब बात बताई. भीलनी में कहा – यदि मेरे पुत्र हुआ तो मैं भी सवा सवा पाव का रोट बनाकर गाज माता को चढ़ाऊँगी. माता की कृपा से कुछ दिन बाद भीलनी एक बेटे की माँ बन गई. उसने तुरंत सवा पाव का रोट माता को चढ़ाया. हे गाज माता जैसा रानी और भीलनी को फल दिया वैसा सबको देना. रानी पर कोप किया वैसा किसी पर मत करना.

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