'PUBG से लेकर फ्रीफायर' तक ये ऑनलाइन गेम है बहुत खतरनाक, कहीं आपके घर में तो नहीं कोई इसका शिकार?
'PUBG से लेकर फ्रीफायर' तक ये ऑनलाइन गेम है बहुत खतरनाक, कहीं आपके घर में तो नहीं कोई इसका शिकार?
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नई दिल्ली: पबजी, फ्रीफायर, बीजीएमआई, कैंडी क्रश, लूडो किंग तथा कॉल ऑफ ड्यूटी कुछ ऐसे नाम हैं जो आपने सुने होंगे। आप इन खेलों को बेशक नहीं खेल सकते हैं, मगर आप निश्चित तौर पर जानते हैं। आपके परिवार या संबंधियों में से कोई न कोई ऐसा होगा जो यह या इस प्रकार का कोई अन्य मोबाइल गेम खेल रहा हो। ऑनलाइन गेमिंग का बाजार भारत में रफ़्तार से विस्तार कर रहा है, कई किशोरों तथा युवा वयस्कों को पकड़ रहा है। गेम डेवलपर्स तथा कंपनियां भारी लाभ कमा रही हैं, मगर भारत में कई बच्चे अनजाने में ऑनलाइन गेमिंग के शिकार हो रहे हैं। 

वही इन दिनों गेमिंग इंडस्ट्री अपने चमकते सुनहरे दौर से गुजर रही है, किन्तु इसकी काली छाया भी कई मासूम व्यक्तियों को अंधेरे के गड्ढों में धकेल रही है। वर्ष 2025 तक यह 7 अरब डॉलर मतलब लगभग 53 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। प्राप्त एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ऑनलाइन गेम्स का बाजार 2020 में 16 2.2 बिलियन या 16,500 करोड़ रुपये के लगभग था, जो अब साल 2025 तक 7 बिलियन डॉलर या तकरीबन 52,500 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

वही अगर आप थोड़ा भ्रमित हैं कि हम गेमिंग की जगह ऑनलाइन गेमिंग क्यों लिखते हैं, तो कृपया निर्दिष्ट करें कि गेम को जब चाहें तब रोका जा सकता है, मगर ऑनलाइन गेमिंग में नहीं। ये गेम एक वास्तविक वक़्त की प्रक्रिया है जहां विश्व भर के लोग एक वक़्त में एक मंच पर जुड़ते हैं। अगर कोई शख्स अपने खेल को बीच में ही रोक देता है या रोक देता है, तो पूरा खेल पृष्ठभूमि में खेला जाता है। ऑनलाइन गेमिंग के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जब कोई इसे खेलता है तो उसके के चलते किसी अन्य गतिविधि पर ध्यान नहीं देता है तथा उसका पूरा ध्यान खेल पर होता है। रीयल टाइम गेमिंग में पीछे छूट जाने का डर सबसे बड़ी वजह है कि ज्यादातर बच्चे गेम खेलते वक़्त हादसे का शिकार हो जाते हैं। इन मसूम खिलाड़ियों को खेल खेलते वक़्त घर में कोई काम हो तो कोई दिक्कत नहीं होती तथा यह परिवार में कलह की वजह बन जाता है।

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