तेरा बचपन का ये कर्ज तेरे बुढ़ापे में मेरा है
तेरा बचपन का ये कर्ज तेरे बुढ़ापे में मेरा है
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तेरा बचपन का ये कर्ज तेरे बुढ़ापे में मेरा हे ये फर्ज एक चित्रकार की बेहद खूबसूरत कृति जो अपने आप में ही सब कुछ बयां कर रही हे शायद ही किसी को कुछ समझाना पड़े । बस जरा सा उल्टा सीधा करके देखना मित्रो। बचपन से बुढ़ापा सब कुछ एक चित्र में ही समझ आ जायेगा ।

मित्रो माँ जैसा दुनिया में कोई नहीं हो सकता । इसलिए ईश्वर ने भी माँ को ही सबसे बड़ा दर्जा दिया हे । जीवन में जब जब हमारे माता पिता को हमारी जरा सी भी जरुरत महसूस हो हम हर कदम पर उनके साथ हो । एक माँ ही हे जो हमें जीवन देने के साथ साथ समय समय पर सब कुछ सिखाती हे दुनियां की अच्छाई बुराई से अवगत कराती हे। माँ पर लिखी बहुत सुन्दर पंक्तिया आपको बता रहा हूँ 

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है

जिसके पास माँ नहीं वो बड़ा बदनसीब है।

माँ की आँचल की छाया सब की नसीब बनाया

माँ के आशीष के आगे कोई दुःख टिक न पाया

माँ के आशीष से सिकंदर बना महान

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

माँ की ममता और प्यार जिस से हे संसार

जिस के पास माँ नहीं वो है लाचार

माँ से जगत माँ से संसार

माँ न होती तो कुछ न होता

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

माँ हमें देती आचार ब्यवहार और संस्कार

यही गुण करते हैं जगत निर्माण

माँ जैसी होंगी दुनियाँ वैसी होगी

माँ ही करती है जगत निर्माण

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

माँ है ममता का सागर दृढ़ता,वीरता, 

सहनशीलता और गम्भीरता में आगर

माँ है करुणा का सागर

इसके आगे सब तुच्छ यहाँ पर

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है

कहे नरेन्द्र सुनो साथी

मेरी बात का बांध लो गांठी

माँ का न करो अपमान

वर्ना फटेगी यह धरती

आकाश से बरसेगा आग

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

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