सरकार और कोर्ट के बीच दोस्ती लोकतंत्र के लिए खतरा- जस्टिस चेलमेश्वर
सरकार और कोर्ट के बीच दोस्ती लोकतंत्र के लिए खतरा- जस्टिस चेलमेश्वर
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दिल्ली : वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलामेश्वर ने सुप्रीम कोर्ट के अंदर हो रहे काम काज को लेकर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिखकर चेताया है कि सरकार और न्यायपालिका के बीच जरूरत से अधिक मित्रता लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. वरिष्ठ न्यायाधीश ने केंद्र सरकार को उसके अनुचित व्यवहार और हठपूर्ण रवैये के लिए जमकर लताड़ भी लगाई है. पत्र में जस्टिज चेलमेश्वर ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से जूडिशयरी के कामकाज में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से जुड़े मामलों में जजों का पक्ष सुनने के लिए फुल कोर्ट बनाने का अनुरोध किया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि कुछ जजों द्वारा रिटायरमेंट के बाद लाभ के पद पाने की कोशिश जैसे मामलों की भी सुनवाई हो.

उन्होंने न्याय मंत्रालय के इशारे पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्ण भट के खिलाफ शुरू की गई जांच पर सवाल उठाए. खास बात है कि कालेजियम ने दो बार पदोन्नति के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी. जस्टिस चेलामेश्वर ने लिखा, “मुझे ऐसी कोई और घटना याद नहीं आती जिसमें सुप्रीम कोर्ट को बाइपास कर हाईकोर्ट से उन आरोपों की जांच के लिए कहा गया हो जो सुप्रीम कोर्ट की जांच में पहले ही गलत साबित हो गए हैं. ऐसा लग रहा है जैसे यह कोई अंतरविभागीय मसला हो.”

जस्टिस चेलामेश्वर ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि यदि सरकार को उक्त अधिकारी की पदोन्नति को लेकर कोई संशय या असहमति थी तो वह कॉलेजियम से रिकंसिडरेशन के लिए कह सकती थी. उन्होंने लिखा, “हमारा दुखद अनुभव यह है कि ऐसा बहुत कम होता है जब सरकार हमारे सुझाव मानती है." गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने एक साथ प्रेस वार्ता करते हुए सुप्रीम कोर्ट की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल पैदा कर दिए थे, जिसके बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ही संदेह के कटघरे में खड़ी हो गई थी. 

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