बाप रे...इन्टॉलरेंस पर यह क्या बोल गए करण जौहर ?
बाप रे...इन्टॉलरेंस पर यह क्या बोल गए करण जौहर ?
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जयपुर. जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत की गई लेकिन वहा पर असहिष्णुता का मामला गर्माता नज़र आ रहा है. करण जौहर ने इस फेस्टिवल में इन्टॉलरेंस के मुद्दे को फिर से हवा दे दी. करन जौहर ने कहा है कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन भारत में सबसे बड़ा जोक है और डेमोक्रेसी उससे भी बड़ा मजाक है. जबकि रस्किन बॉन्ड का मानना हैं कि अवॉर्ड्स वापसी ठीक नहीं है. वहीं दूसरी और उदय प्रकाश जैसे लेखक इन्टॉलरेंस के मुद्दे पर अवॉर्ड वापसी को उचित मानते हैं.

फेस्टिवल में अनसूटेबल ब्वॉय’ सेशन में शोभा डे से चर्चा करते हुए करन जोहर ने कहा कि- आप मन की बात कहना चाहते हैं या अपनी निजी जिंदगी के राज जाहिर करना चाहते हैं तो भारत सबसे मुश्किल देश है. मुझे ऐसा लगता है कि जैसे हमेशा कोई लीगल नोटिस मेरा पीछा करता रहता है. किसी को भी पता नही कि कब उसपर FIR दर्ज हो जाए.

14 साल पहले मैं नेशनल एंथम के अपमान का केस झेला चूका हु. अपने निजी विचार रखना और डेमोक्रेसी की बात करना, ये दोनों ही मजाक हैं. हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हैं, लेकिन अगर मैं एक सेलिब्रिटी होने के नाते अपने विचार जाहिर करू तो एक बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी बन जाती है.

वही फेस्टिवल में सीनियर लेखक रस्किन बॉन्ड ने कहा कि- अवॉर्ड्स कोई बेजान चीज नहीं, ये लोगों का प्यार है. इसे लौटाना या ठुकराना सही नही. जैसे इन्टॉलरेंस, इन्टॉलरेंस को जन्म देता है, वैसे ही टॉलरेंस से टॉलरेंस फैलता है. जब आप और मैं तय कर लेंगे कि हमें टॉलरेंट बनना है तो दुनिया बदल जाएगी. आपको बता दे कि इस फेस्टिवल में असहिष्णुता के मसले को लेकर अवॉर्ड वापसी करने वाले लेखक और अवॉर्ड वापसी का विरोध करने वाली हस्तियों को विशेषरूप से आमंत्रित किया गया है.

जिसमे अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश और नंद भारद्वाज जैसे लेखक शामिल है जो साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं. वहीं, रस्किन बॉन्ड, शोभा डे और अनुपम खेर जैसी शख्सियत को भी आमंत्रित किया गया है जो इन्टॉलरेंस को लेकर चल रही बहस को बेकार बता चुके हैं. लिहाजा माना जा रहा है कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इन्टॉलरेंस का मुद्दा प्रभावी हो सकता है.

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