मुरैना: आखिरकार सरकार को उस जवान की याद आ ही गई, जिसने वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी में नक्सलियों से लोहा लेते हुए छाती और पेट पर सात गोलियां खाई थी. मध्यप्रदेश सरकार की नींद टूटने में चार साल का वक़्त लगा और अब जाकर सीआरपीएफ के जख्मी जवान मनोज तोमर के पेट से बाहर लटकी आंतों पर उसकी नज़र पड़ी है. एक आंख की रोशनी गवा चूका ये जवान अब आशान्वित हो गया है.
सरकार ने न केवल जवान को दस लाख रुपये की त्वरित सहायता की घोषणा की बल्कि एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली) को पत्र लिख मनोज के समुचित इलाज को अनुशंसा की है. रविवार को जवान के गृहनगर मुरैना (मध्यप्रदेश) के कलेक्टर ने जवान के गांव पहुंचे सीआरपीएफ के उच्च अधिकारी के जरिये ये सुचना दी. इसके बाद जवान मनोज ने कहा नक्सलियों से मुठभेड़ में घायल होने के बाद जरूरी इलाज न मिलने और सरकार की अनदेखी के कारण मैं टूट गया था, लेकिन अब मुझे उम्मीद हो चली है कि सही इलाज और सम्मान मिलेगा.
मुरैना कलेक्टर ने मीडिया को बताया कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सहायता कोष से जवान को 10 लाख रुपये की त्वरित सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है. दिल्ली में एम्स से उपचार के लिए समन्वय स्थापित किया जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो जवान को इलाज के लिए विदेश भी ले जाया जाएगा.
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