'सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर चार लाइन, मुगलों पर पूरी किताब क्यों?', अक्षय कुमार ने इतिहास पर उठाया सवाल
'सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर चार लाइन, मुगलों पर पूरी किताब क्यों?', अक्षय कुमार ने इतिहास पर उठाया सवाल
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सम्राट पृथ्वीराज फिल्म की रिलीज से पहले बॉलीवुड फिल्मों के मशहूर एक्टर अक्षय कुमार ने देश में इतिहास की पढ़ाई को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि हमें जो इतिहास पढ़ाया गया है, उसमें हमारे राजाओं जैसे महाराणा प्रताप एवं पृथ्वीराज चौहान के बारे में बहुत कम बताया गया है। अक्षय ने कहा कि मैं शिक्षा मंत्री से अपील करना चाहूंगा कि इस मामले को देखें। हमें बैलेंस करना चाहिए। मैं यह नहीं बोलता कि हमें मुगलों के बारे में नहीं जानना चाहिए, मगर हमें अपने राजाओं के बारे में भी जानना चाहिए। वे भी महान थे तथा यह जानकारी हर किसी को बताना चाहिए। बच्चों को महाराणा प्रताप के बारे में जानना चाहिए।

पृथ्वीराज चौहान को लेकर उन्होंने बोला कि हमारी इतिहास की पुस्तकों में उनके बारे में दो से तीन लाइनें ही हैं। आंक्रांताओं पर पुस्तकें लिखी गई है, किन्तु हमारे अपने राजाओं पर 2 से 3 लाइनें ही हैं। यही नहीं इस के चलते उन्होंने स्वयं के सोमनाथ एवं काशी विश्वनाथ जाने के सवाल पर भी जवाब दिया। अक्षय कुमार ने बोला कि मैं यहां हिंदुत्व के लिए नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत के चलते गया था। अक्षय कुमार ने बोला, 'मैं इसलिए गया था क्योंकि पृथ्वीराज का इनसे नाता है। मैं धार्मिक आस्था के चलते नहीं बल्कि संस्कृति के कारण गया। मैं इसलिए गया था जिससे लोगों को बताऊं कि यह हमारी संस्कृति है। चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने मुझे बताया कि पृथ्वीराज चौहान तथा सोमनाथ एवं काशी विश्वनाथ के बीच क्या रिश्ता है।'

वही इसके चलते फिल्म निर्माता चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने कहा कि मैं सांस्कृतिक पुनरुत्थान तथा मंदिरों के दोबारा निर्माण को गलत नहीं मानता। उन्होंने कहा कि आखिर हम सोमनाथ एवं वाराणसी क्यों गए? हम जानते हैं कि भारत की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी है। गंगा और हिमालय हमारे इतिहास के साक्षी हैं, यह हमारी भावना की बात है। इस देश में काफी डिबेट चल रही है। इसलिए मेरे मन में था कि लोगों को याद दिलाया जाए कि प्रथम बार काशी विश्वनाथ मंदिर को कुतुबुद्दीन ने तोड़ा था। फिल्म में सोमनाथ का भी जिक्र आता है। सोमनाथ को कई बार तोड़ा गया तथा लोगों के समक्ष यह सवाल था कि क्या उसे यूं ही छोड़ दिया जाए। किन्तु 1947 में सरदार पटेल, कन्हैया लाल मुंशी और राजेंद्र प्रसाद सहित कई नेताओं ने कोशिश की। 1192 के बाद से देश गुलाम रहा और देश ने बहुत कुछ सहा। अब यह समय है, जब पुनरुत्थान होना चाहिए तथा उसका प्रतीक सोमनाथ मंदिर बना था। 

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