आप सभी को बता दें कि आज से चैती छठ शुरू हो गया है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या होगा ग्रहण और कैसा है यह पर्व.
आज गंगास्नान करके लौकी की सब्जी,अरवा चावल ग्रहण करेंगे - जी हाँ, ज्योतिषों के मुताबिक़ नहाय-खाए में मंगलवार को व्रती लौकी की सब्जी और अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण करेंगे और छठ में इसका खास महत्व माना जाता है. कहते हैं वैदिक मान्यता के अनुसार इससे पुत्र की प्राप्ति होती है तो वहीं वैज्ञानिक मान्यता यह है कि गर्भाशय मजबूत होता है. कहते हैं इसके बाद व्रती बुधवार को खरना करेंगे. जी हाँ, कद्दू में लगभग 96 फीसदी पानी होता है और इसे ग्रहण करने से कई तरह की बीमारियां खत्म हो जाती हैं. इसी के साथ इस दिन चने की दाल भी खायी जाती है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि चने की दाल बाकी दालों में सबसे अधिक शुद्ध है. वहीं खरने के प्रसाद में ईख का कच्चा रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं ऐसा माना जाता है.
चैती छठ शरीर को शुद्ध रखने का भी पर्व है - कहते हैं ज्योतिषों की माने तो चैती छठ शरीर को शुद्ध रखने का भी पर्व है और चार दिवसीय अनुष्ठान के पहले दिन नहाय-खाय में स्नान से शरीर को शुद्ध किया जाता है. इसी के साथ शुद्ध भोजन ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना पर व्रत रखा जाता है यानी एक समय ही भोजन के रूप में खीर-रोटी खायी जाती है. वहीं उसके बाद षष्ठी को पूरी तरह निराहार व निर्जला रहा जाता है. आप सभी को बता दें कि वसंत और शरद ऋतु संक्रमण का काल माना जाता है और इसमें बीमारी का प्रकोप ज्यादा होता है. इस कारण से बीमारी के प्रकोप से बचाव के लिए आराधना व उपासना पर जोर दिया गया है और तन-मन स्वस्थ रखने के लिए व्रत व पूजा-अर्चना करना जरुरी माना जाता है.
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