अटल बिहारी वाजपेयी के वो 3 वाक्य जिन्हे सुनकर उनकी दीवानी हो गई थी जनता
अटल बिहारी वाजपेयी के वो 3 वाक्य जिन्हे सुनकर उनकी दीवानी हो गई थी जनता
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नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी की तबियत लगातार  गंभीर होती जा रही है। उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब अटल जी की पूरे देश में लहर चलती थी। उनके भाषण किसी भी व्यक्ति में देशभक्ति का जोश जगाने की ताकत रखते थे। 

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अटल जी के ऐसे ही कुछ इमरजेंसी के दौर के भी है जिन्हे आज भी याद किया जाता था। दरअसल साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। इसके बाद अटल जी समेत कई विपक्षी नेताओं ने जोर-शोर से इस कदम का विरोध किया था। इसके बाद 1977 में इमरजेंसी खत्म होने पर दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में अटल बिहारी जैसे ही भाषण देने मंच पर खड़े हुए तो वह मौजूद हजारों लोग 'इंदिरा गांधी मुर्दाबाद' और अटल बिहारी जिंदाबाद के नारे लगने लगे थे। 

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थोड़ी देर बाद जब भीड़ शांत हो गयी तब अटल जी ने कहा- 'बाद मुद्दत मिले हैं दीवाने' यह सुनते ही भीड़ फिर जोर शोर से नारे लगाने लगी इसके बाद अटल जी ने कहा  'कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने, और अंत में अपने भाषण को ख़त्म करते हुए उन्होंने अपने ख़ास अंदाज में कहा कि 'खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी भला कौन जाने.' उनके ये तीन वाक्य सुनने के बाद जनता उनकी दीवानी ही हो गई थी और भाषण खत्म होने के बहुत देर बाद तक भी उनकी जय-जयकार के नारे लगते रहे। 

 

 

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