नई दिल्ली: भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने 16 साल के शानदार करियर के बाद संन्यास की घोषणा कर दी। रानी की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल किया था, जो भारतीय महिला हॉकी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। 29 वर्षीय रानी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में 254 मैच खेले और 205 गोल किए।
रानी रामपाल का सफर प्रेरणादायक रहा है। हरियाणा के एक छोटे से शहर से आने वाली रानी के पिता ठेला खींचने का काम करते थे। उन्होंने बचपन में गरीबी का सामना किया, लेकिन उनकी मेहनत और देश का प्रतिनिधित्व करने की ललक ने उन्हें एक सफल खिलाड़ी बना दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रानी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "यह एक शानदार यात्रा रही है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने लंबे समय तक भारत के लिए खेल पाऊंगी।"
रानी ने 14 साल की उम्र में 2008 के ओलंपिक क्वालिफायर के जरिए इंटरनेशनल हॉकी में डेब्यू किया था। इसके बाद 2010 में 15 साल की उम्र में वर्ल्ड कप में खेलते हुए उन्होंने सात गोल किए, जिससे भारत को 1978 के बाद का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और विश्व रैंकिंग में नौवां स्थान प्राप्त करने में मदद मिली।
अपने करियर के दौरान रानी ने फॉरवर्ड के अलावा मिडफील्डर के रूप में भी टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रानी 2017 के वूमेन्स एशिया कप में रजत पदक और 2018 के एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा भी रहीं। उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए 2020 में उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया। हाल ही में रानी को भारतीय सब जूनियर महिला टीम का राष्ट्रीय कोच नियुक्त किया गया था।
रानी रामपाल का संन्यास भारतीय हॉकी के लिए एक युग का अंत है, लेकिन उनकी सफलता और मेहनत हमेशा नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।
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