चीन के साथ होने वाले व्यापार घाटे के लिए विदेश मंत्री ने उसके इसे नीति को ठहराया जिम्मेदार
चीन के साथ होने वाले व्यापार घाटे के लिए विदेश मंत्री ने उसके इसे नीति को ठहराया जिम्मेदार
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नई दिल्लीः भारत और चीन के साथ बीच हो रहे व्यापार में भारत का घाटा बढ़ता जा रहा है। भारत कई मौकों पर इस मुद्दे को उठा चुका है। मगर चीन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। चीन के साथ बढ़ते घाटे के कारण ही यूएस ने उसके खिलाफ ट्रेड वार छेड़ दिया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस चिंता को प्रकट किया। जयशंकर ने कहा कि चीन की संरक्षणवादी नीतियों की वजह से ही भारत के साथ उसका व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है।

उधर, नई दिल्ली में भारत-चीन रणनीतिक आर्थिक वार्ता की सोमवार को शुरुआत हुई है और इसमें नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने भी व्यापार घाटे को द्विपक्षीय कारोबार को आगे बढ़ाने की राह में एक बड़ी अड़चन करार दिया। उन्होंने चीन से आग्रह किया कि अब समय आ गया है कि वह घाटे को पाटने के लिए अपनी तरफ से ठोस कदम उठाए। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा (निर्यात और आयात का अंतर) अभी 57 अरब डॉलर है।

इसका मतलब यह है कि भारत से चीन जितने का सामान आयात करता है, उससे 57 अरब डॉलर मूल्य का ज्यादा सामान भारत को निर्यात कर रहा है। इसके पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह रकम 52 अरब डॉलर था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत से चीन को होने वाले निर्यात में बहुत इजाफा नहीं हो रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन एक तरह से भारतीय उत्पादों के साथ बहुत ही पक्षपातपूर्ण व्यवहार करता है। इसलिए भारत को व्यापार में अधिक नुकसान झेलना पड़ता है।

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