कुछ अर्सा पहले चर्चा में आई एक नामी कम्पनी की नूडल्स और फिर एक ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमाईट पाए जाने पर सवालों के घेरे में आई इन कम्पनियों की जाँच करने वाली प्रयोग शालाओं की स्तिथि जानने की कोशिश की तो इनकी खुद की सेहत ठीक नहीं पाई गई|
फ़ूड सेफ्टी स्टेंडर्ड अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया (एफएसएसएआई) के अधीन काम करने वाली इन प्रयोगशालाओं की जिम्मेदारी है कि बाजार में बिकने वाली कौनसी खाद्य सामग्री या पेय पदार्थ जनता के उपयोग करने लायक है..खाद्य उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि परीक्षण को लेकर पूरे देश में एक जैसी व्यवस्था नहीं होने से भी परेशानी हो रही है|
पहले नूडल्स और फिर ब्रेड की जाँच में आए विरोधाभास के कारण खाद्य परीक्षण की यह प्रयोगशालाएं खुद सवालों के घेरे में आ गई है.ब्रेड मम्मन पोटेशियम ब्रोमाइट मिले जाने को लेकर विरोधाभास सामने आया था बाद में एफ एस एस ए आई ने फ़ूड एडिटिव लिस्ट से पोटेशियम ब्रोमाइट को हटा दिया था.इसके अलावा संस्था द्वारा एप्रूव किये गए कुछ उत्पाद भी जाँच के घेरे में आए इसके बाद खुद नियंत्रक पर सवाल उठने लगे हैं|
एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा की खाद्य सुरक्षा के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. देश भर की सरकारी लैब में प्रशिक्षित मानव शक्ति की कमी है. देश में करीब 3 खाद्य सुरक्षा निरीक्षक हैं जबकि खाद्य व्यवसाय 3 करोड़ हैं. इसकी अधो संरचना को मजबूत करने की जरूरत है. बता दें की खाद्य परीक्षण के लिए पूरे देश के लिए एक तय मानक नहीं है. खाद्य विभाग के कर्मचारियों के कई पद खली हैं. प्रयोगशालाओं की मशीनों का अपग्रेडेशन नहीं हुआ है. जाँच की प्रक्रिया लम्बी है और परिणाम देर से मिलने की शिकायत आम है|