पहली बार बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में पाकिस्तान की ओऱ से शामिल हुआ सिख सैनिक
पहली बार बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में पाकिस्तान की ओऱ से शामिल हुआ सिख सैनिक
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नई दिल्ली : वाघा बॉर्डर पर हर शाम बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी होती है। भारत के रेंजर्स और पाकिस्तान के रेंजर्स हाथ मिलाते है। लेकिन गुरुवार की शाम को ऐसा पहली बार हुआ जब पाकिस्तान रेंजर्स की ओर से एक सिख युवक शामिल हुआ। जब यह जवान सेरेमनी के लिए आया तो दोनों देशों के लोगों ने भी खुलकर तालियाँ बजाई और उसका स्वागत किया।

इस युवक का नाम अमरजीत सिंह है, वो गुरुनगरी ननकाना साहिब का रहने वाला है। अमरजीत ने इसी साल अपनी ट्रेनिंग पूरी की है। वो 2009 से पाकिस्तानी रेंजर्स में है। अमरजीत ने सिखों वाला जज्बा दिखाते हुए कहा कि वो अपने वतन की सेवा में हाजिर हुए है और इसमें यदि उनकी जान भी चली जाती है, तो कोई मलाल नही बल्कि यह उनके लिए फक्र की बात होगी।

पाकिस्तानी सेना में शामिल होने वाले पहले सिख रेंजर का नाम है हरचरण सिंह। वे भी ननकाना साहिब के लिए ही रहने वाले है। वर्ष 2005 में उन्होंने इंटर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड की परीक्षा पास कर पाकिस्तान आर्मी ज्वाइन की थी। उनसे पहले पाकिस्तानी आर्मी में कोई सिख नहीं था।

2009 में पहले पाकिस्तानी फॉरेन सर्विस में ज्ञान चंद को शामिल किया गया, जो कि एक हिंदु थे। 2013 में एक हिंदू सैनिक अशोक कुमार ने पाकिस्तानी आर्मी की तरफ से लड़ते हुए जान गंवाई थी, लेकिन पाकिस्तानी आर्मी ने उन्हें शहीद का दर्जा देने से इनकार कर दिया था। इस पर विवाद भी हुआ था।

क्या है बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी

यह 1959 से वाघा बॉर्डर पर शुरु किया गया। इसके तहत हर शाम भारत और पाकिस्तान का झंडा उतारा जाता है। इसे देखने के लिए दोनों देशों से कई लोग हर शाम बॉर्डर पर जुटते है। यह सेरेमनी 2 मिनट 36 सेकेंड तक चलती है। इस दौरान दोनों देशों के जवान आते है और अपने पैरों को जितना ऊंचा ले जाते है, उसे उतना ही अच्छा माना जाता है। इसके बाद दोनों देशों के ध्वज उतारे जाते है।

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