पहले कैशलेस ट्रांजेक्शन सिस्टम यूपीआई से लेन- देन और भुगतान होगा आसान
पहले कैशलेस ट्रांजेक्शन सिस्टम यूपीआई से लेन- देन और भुगतान होगा आसान
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आमतौर पर नगद का व्यवहार करने वालों के लिए यह खबर निश्चित ही राहत देगी कि अब आपको दोस्त या किसी रिश्तेदार को पैसे भेजने और मंगाने के लिए बैंक अकाउंट डिटेल या कार्ड की जरूरत नहीं होगी. इसके लिए बस आपके पास यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई आईडी होना जरूरी है. पैसों के लेन-देन के अलावा आप भविष्य में जरूरत के बिल भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग वगैरह भी इसकी मदद से कर सकते हैं. आपके ये सभी काम यूपीआई से आसान हो जाएंगे. नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा शुरू किया गया यह दुनिया का अपनी तरह का पहला कैशलेस ट्रांजैक्शन सिस्टम बताया जा रहा है.

इस नई सुविधा के बारे में एनपीसीआई के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर दिलीप अस्बे ने बताया कि यूपीआई आईएमपीएस (अभी तक पेमेंट करने का सबसे तेज तरीका) का ही दूसरासंस्करण है. इसे अभी पर्सन टू पर्सन लॉन्च किया गया है.अगले दो से तीन हफ्तों में इसे ई-मर्चेंट्स (ऑनलाइन दुकानदार) के लिए भी लॉन्च किया जाएगा. इसके बाद मोबाइल टॉप अप, टेलिकॉम बिल, ई-कॉमर्स कंपनियों को पेमेंट और ऑन लाइन शॉपिंग आसान हो जाएगी. आने वाले समय में इससे बिजली के बिल जैसे गवर्नमेंट पेमेंट भी आसानी से किए जा सकेंगे. इस ऐप का इस्तेमाल 50 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक के लेन-देन के लिए किया जा रहा है.

इस आधुनिक भुगतान प्रणाली पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एक्सिस बैंक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और पेमेंट व कार्ड बिजनेस हेड संग्राम सिंह कहते हैं कि देश में हर महीने एटीएम से दो लाख करोड़ रुपए निकाले जा रहे हैं जबकि 74 करोड़ ट्रांजैक्शन होते हैं.ऐसे में यूपीआई एटीएम ट्रांजैक्शन को भविष्य में कम कर देगा. इसका इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को एक्स्ट्रा फीस भी नहीं देना  होगी . एनपीसीआई के प्लेटफॉर्म से यूपीआई की सुविधा वर्तमान में 21 बैंकों ने शुरू कर दी है. जबकि 29 बैंकों ने सहमति दी है. इस नई व्यवस्था से काले धन पर भी अंकुश लगेगा क्योंकि एक बार पैसा सिस्टम में आने के बाद फिर उसका रिकॉर्ड रखना ही पड़ेगा.

सिंह ने यह भी बताया कि यह लेन-देन का सबसे सुरक्षित तरीका भी है. साथ ही, 24 घंटे सातों दिन कभी भी आप पैसे एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में भेज सकते हैं, चाहे बैंक में छुट्‌टी ही क्यों न हो. इसलिए घरों में नगदी रखने के फैशन में भी कमी आएगी. आगे चलकर छोटे-छोटे पेमेंट जैसे - गार्ड की सैलरी, स्कूल फीस आदि में भी इसका भुगतान भी शुरू हो जाएगा.

जबकि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के एमडी और सीईओ अनिमेश चौहान का कहना था कि अभी देश में जो मोबाइल वॉलेट या कार्ड पेमेंट्स कंपनियां हैं जैसे- पेटीएम, इट्ज कैश वगैरह पहले कंज्यूमर्स से पैसे ले लेती हैं. इसके बाद उन्हें भुगतान की सुविधा देती हैं, लेकिन यूपीआई में यह व्यवस्था खत्म हो जाएगी, क्योंकि इसमें वास्तविक समय में तुरंत पैसा ट्रांसफर हो सकेगा. साथ ही,ग्राहकों को को एक रुपए के ब्याज का नुकसान भी नहीं होगा.जबकि इट्ज कैश के एमडी नवीन सूर्या ने कहा कि इस ऐप का असर मोबाइल वॉलेट पर कम ही पड़ेगा. क्योंकि इसके अधिकांश यूजर बिना बैंक अकाउंट वाले हैं. इसलिए मोबाइल ऐप्स, कार्ड और वालेट पर यूपीआई का असर कम होगा और फिर कंपनियां कैश बैक का ऑफर भी देती है.

बता दें कि यूपीआई की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि बैंक इसे किस प्रकार से सपोर्ट करते हैं.इसके अलावा कंपनियों और मर्चेंट के द्वारा इसे अपनाने पर भी इसकी सफलता निर्भर करेगी, क्योंकि अभी भी देश में कार्ड आने के 10 साल के बाद भी कार्ड्स पेमेंट्स के स्वीकार करने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 10 लाख के आसपास ही है. जबकि अभी देश में कुल भुगतान में से 80 फीसदी लेन-देन नगद में होता है.

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