मध्यप्रदेश / जबलपुर : मध्यप्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने "महामहिम" को बड़ी राहत दी है। व्यायसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) अदालत ने मंगलवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर और न्यायाधीश रोहित आर्य की युगलपीठ ने राज्यपाल यादव के खिलाफ पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ ) द्वारा दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) को खारिज कर दी। युगलपीठ ने पिछले दिनों इसी एफआईआर पर स्थगन आदेश जारी किया था।
प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले मामले में खुद के खिलाफ एसटीएफ द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने को चुनौती देते हुए राज्यपाल यादव ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में संविधान की धारा 361(दो) व (तीन) का हवाला देते हुए उन्होंने इसका लाभ मांगा था। संविधान का हवाला देते हुए कहा गया था कि राष्ट्रपति व राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती और उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता। रामनरेश यादव को आखिरकार 'महामहिम' होने का लाभ मिल ही गया।
राज्यपाल के अधिवक्ता महेंद्र पटैरिया ने मंगलवार को बताया कि युगलपीठ ने अपने 62 पृष्ठों के विस्तृत आदेश में कहा है कि प्राथमिकी में दर्ज राज्यपाल का नाम हटाया जाए। एफआईआर के अन्य आरोपियों के खिलाफ एसटीएफ अपनी जांच जारी रख सकती है। एसटीएफ हालांकि राज्यपाल के खिलाफ जांच नहीं करेगी। बकौल पटैरिया, अदालत ने कहा कि राज्यपाल चाहें तो अपनी इच्छा से जांच के बिंदुओं पर बयान दर्ज करा सकते हैं। राज्यपाल के बयान दर्ज करने जांच अधिकारी के साथ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के कोई अधिकारी राजभवन जाएंगे।
राज्य के प्रमुख के रूप में राज्यपाल के 'पूर्ण सम्मान' का ध्यान रखा जाए। पटेरिया ने बताया कि राज्यपाल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वन रक्षक भर्ती 2013 के मामले में एसटीएफ ने पहले से अपराध संख्या 14 -2014 दर्ज कर रखा है। एसटीएफ ने इसी मामले में हाल में ही अपराध संख्या 4-2015 दर्ज किया है, जिसमें राज्यपाल, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, खनन कारोवारी सुधीर शर्मा सहित व्यापमं के तत्कालीन परीक्षा कंट्रोलर डॉ पंकज त्रिवेदी व सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्र सहित 101 नामजद सहित अन्य को आरोपी बनाया गया है।
राज्यपाल के खिलाफ एएफआईआर डॉ. पंकज त्रिवेदी व नितिन महिंद्रा के बयान व नितिन महिंद्रा के कार्यालय में लगे कम्प्यूटर से जप्त सेकेंड हार्डडिस्क में मिले दस्तावेज के आधार पर की गई है। याचिका में यह भी कहा गया था कि जांच की मॉनिटरिंग कर रही एसआईटी के समक्ष कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने साक्ष्यों के साथ एक शिकायत प्रस्तुत की है, जिसमें कहा गया है कि ओरिजनल एक्सेल शीट में 45 जगह सिफारिशकर्ता के रूप में मुख्यमंत्री लिखा गया है।
जबकि फिर से तैयार की गई एक्सेल शीट में एक जगह राजभवन और सात जगह उमा भारती के नाम का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा प्रकाश पांडे नामक एक व्यक्ति ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर असली एक्सेल शीट उसके पास होने का दावा किया है। पूर्व में याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी व महेंद्र पटौरिया ने भी पक्ष रखा था।