style="text-align: justify;">परेश रावल की फिल्म धर्म संकट आज सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है. वैसे तो धर्म पर कई फिल्में आई हैं. 'ओह माय गॉड','पीके' और 'दोजख' के बाद 'धर्म संकट में' भी इसी कैटेगरी की फिल्म है. इस फिल्म में भी धर्म और धार्मिकता के पहलू को एक अलग नजरिए से उठाया गया है. फिल्म के नायक या मुख्य अभिनेता परेश रावल हैं. वो इसके पहले 'ओह माय गॉड' में दिखे थे. यह फिल्म इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि वे फिलहाल भाजपा के सांसद हैं. 'धर्म संकट में' ब्रिटिश कॉमेडी फिल्म 'द इनफिडेल' से स्पष्ट रूप से प्रेरित है.
मूल फिल्म की तरह इस फिल्म में भी धर्म और धार्मिक पहचान के संकट का चित्रण कॉमिकल रखा गया है.
ऐसी फिल्मों के लिए परेश रावल उपयुक्त कलाकार हैं. और उन्होंने धर्मपाल के किरदार को बखूबी निभाया है. धर्मपाल त्रिवेदी पारिवारिक व्यक्ति हैं. अपनी बीवी और बेटी-बेटे के साथ वे सुखी और सानंद दिखते हैं. धर्मपाल मुसलमानों को लेकर हमेशा खफा रहते हैं. खान बहादुर से उनकी बक-झक होती है. वे भला-बुरा सुनाते हैं. खान बहादुर उन्हें पलट कर जवाब देते हैं और सवाल करते हैं कि क्यों हर मुसलमान को शक की निगाह से देखा जाता है? उनके बीच के इन संवादों में उन धारणाओं की बातें आई हैं जो देश में जब-तब सुनाई पड़ते हैं.
धर्मपाल की दुविधा तब खड़ी होती है, जब वे बीवी के याद दिलाने पर अपनी दिवंगत मां का लॉकर खोलते हैं. वहीं पता चलता है कि उन्हें गोद लिया गया था. आगे यह भी मालूम होता है कि वे एक मुसलमान पिता की औलाद हैं.
इस राज के जाहिर होने पर उनके पांव के नीचे की जमीन खिसक जाती है. उनके मुसलमान विरोध का सुर ठंडा होता है. वे अपने मरणासन्न पिता से मिलने और देखने के लिए पक्के मुसलमान बनने की कोशिश में खान बहादुर की मदद लेते हैं. इस कहानी में नील आनंद बाबा की भी कहानी चलती है. उनके साथ भी एक राज छिपा है.
निर्देशक फुवाद खान ने भारतीय संदर्भ में यहूदी और मुसलमान चरित्रों की मूल कहानी को हिंदी और मुसलमान चरित्रों में बदल दिया है. उन्होंने मुसलमानों के बारे में प्रचलित धारणाओं और मिथकों पर संवेदनशील कटाक्ष किया है. फिर क्या होता है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी. निर्देशक ने धर्मपाल की उलझन को दिखाने की कोशिश की है. परेश रावल की तरह अन्नू कपूर ने भी अपने किरदार को सही तरीके से निभाया है. हां, अन्नू कपूर कभी-कभी अपनी अभिनय शैली के दोहराव के मोह में फंस जाते हैं. नसीरूद्दीन शाह ने नील आनंद बाबा की भूमिका में मस्ती की है.