हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की नौकारी का मामला गहरा गया है. शिक्षकों को गलत तरीके से नौकरी देने के मामले में संबधित अधिकारीयों पर कार्यवाही की गई है. जिसके तहत पंचकूला में हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन, पूर्व सदस्यों एवं अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह भर्ती पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के कार्यकाल में 2006 में शुरू हुई व 2010 में पूरी हुई. विजिलेंस की एफआईआर में किसी का नाम नहीं है. भर्ती के समय मौजूद सभी अफसर और कर्मचारी इसमें शामिल किए गए हैं. 2005 से 2010 तक आयोग के चेयरमैन नंद लाल पुनिया (ब्रिगेडियर, रिटायर्ड) थे.
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डीएसपी शरीफ सिंह की शिकायत पर तुरंत कार्यवाही की गई है. उनकी शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली गई है. कहा जा रहा है कि आयोग ने विज्ञापन के माध्यम से 20 जुलाई 2006 को आवेदन मांगे थे. जिसमें 1983 पीटीआई की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे. 28 दिसंबर 2006 को चयन प्रक्रिया की घोषणा की गई. इसके अनुसार कुल 200 अंक लिखित परीक्षा के और 25 अंक साक्षात्कार के थे. आरोप है कि इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान आयोग के तत्कालीन चेयरमैन व सदस्यों ने अपने पद का दुरुपयोग कर अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया. इसके लिए चयन मापदंडों में बार-बार बदलाव किया गया.
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इस संबध में आयोग के तत्कालीन चेयरमैन ने 30 जून 2008 और 11 जुलाई 2008 के निर्णय का हवाला दिया है. उन्होने कहा कि चयन प्रक्रिया में बदलाव मुख्यमंत्री निवास के सामने प्रदर्शन के बाद किया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट में मामला पहुंचा और भर्ती रद्द कर दी गई.एफआईआर के अनुसार तत्कालीन चेयरमैन ने चयन आयोग के सदस्यों के साथ मिलकर झूठे दस्तावेज तैयार किए. चयन प्रक्रिया में आयोग के सदस्यों ने अपने चहेते उम्मीदवारों को साक्षात्कार में अधिक से अधिक अंक दिए. योग्य उम्मीदवारों को बेहद कम अंक दिए गए. इस पर उनके खिलाफ धारा 166, 193, 466, 468, 471, 120बी भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम 1988 की धारा 13 (2) और (1)डी के तहत केस दर्ज किया गया है.
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