छात्रों पर होने वाले औसत खर्च से  तय होगी निजी स्कूलों  की फीस
छात्रों पर होने वाले औसत खर्च से तय होगी निजी स्कूलों की फीस
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सूरत : निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए बनाए गए नए कानून और नए कानून के बारे में व्याप्त असमंजस को दूर करने तथा प्रशासन का पक्ष रखने के लिए सूरत जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के निजी स्कूल संचालकों के साथ यूनिवर्सिटी हॉल  में आयोजित  बैठक में निजी स्कूल संचालकों को निजी स्कूलों के लिए तैयार किए गए फीस के स्लैब की जानकारी दी गई.

बैठक में   यू  एस राठौड़ ने निजी स्कूल संचालकों को बताया कि सरकार ने पूरे राज्य के छात्रों की संख्या और उन पर हो रहे खर्च को ध्यान में रखकर हर छात्र पर होने वाले औसत खर्च का आंकड़ा निकाला, फिर उसी खर्च के हिसाब के आधार पर प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर के निजी स्कूलों के फीस का स्लैब तय किया गया है.राठौड़ ने सभी सवालों के जवाब दिए और यह समझाने की कोशिश की कि तय किए गए नियमों के अनुसार ही फीस लेनी है. बता दें कि इस बैठक में जो स्कूल संचालक मौजूद रहे, उनमें से 80 प्रतिशत स्कूल ऐसे थे, जिनकी फीस स्लैब से कम है.

इस बैठक में सभी निजी स्कूल संचालकों को बुलाया गया था, लेकिन कुछ बड़े स्कूल संचालक नहीं आए. खासतौर पर जिन स्कूलों की फीस को लेकर विरोध है उनके प्रतिनिधि इस बैठक में नहीं आए. इस मौके पर शिक्षा अधिकारी ने कहा कि खर्च में टीचिंग स्टाफ के वेतन को हल्के में न लें. फीस निर्धारण कमेटी शिक्षकों की योग्यता अनुसार ही वेतन की गिनती करेगी. ऐसा नहीं है कि कोई स्कूल 50000 रुपए शिक्षक के वेतन दिखा कर फीस बढ़ा सकेगी.संचालक के वेतन को स्कूल के खर्च में जोड़ने संबंधी सवाल पर डीईओ ने कहा कि एक्ट में स्पष्ट है कि सिर्फ टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के वेतन को ही स्कूल के खर्च के रूप में गिना जाएगा. संचालक खुद की स्कूल में नहीं पढ़ा सकता, नियम के अनुसार भी यह गैरकानूनी है.

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