यूँ ही नहीं बने सचिन 'क्रिकेट के भगवान', संघर्ष और समर्पण की दास्ताँ है मास्टर ब्लास्टर का करियर
यूँ ही नहीं बने सचिन 'क्रिकेट के भगवान', संघर्ष और समर्पण की दास्ताँ है मास्टर ब्लास्टर का करियर
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'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज़ आज अपना 48वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं। हम उस दौर कि बात कर रहे हैं, जब इंडियन प्रीमियर लीग (IPL), टी-20 जैसे क्रिकेट फॉर्मेट तो नहीं थे, लेकिन फिर भी क्रिकेट का नशा लोगों के सिर चढ़कर बोलता था। यह वो दौर था, जब सचिन की बल्लेबाज़ी देखने के लिए सड़कों पर ट्रैफिक थम जाता था, ऑफिसों में लोग काम बंद करके TV या रेडियो ऑन कर लेते थे, घर के सभी लोग, चाहे महिला हो या पुरुष, बच्चा हो या बूढ़ा, सभी TV के सामने ऐसे बैठ जाते थे, जैसे सचिन उनके ही घर के सदस्य हों और टीम इंडिया के लिए खेल रहे हों, बुजुर्गों की प्रार्थनाएं शुरू हो जाती थीं, तो बच्चे मास्टर-ब्लास्टर के हर शॉट पर उछल-उछल जाय करते थे। ये वो समय था, जब सचिन और क्रिकेट एक दूसरे का पर्याय बन चुके थे। आज जब भारत का यह गौरव अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं, तो आइए हम आपको अपने पसंदीदा खिलाड़ी के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से अवगत कराते हैं। 

मैं खेलेगा :-

16 साल के तेंदुलकर का पहला टेस्ट मैच, सामने वसीम अकरम, वक़ार यूनिस, इमरान खान जैसे पाकिस्तानी गेंदबाज़, जिनकी गेंदों से बड़े-बड़े बल्लेबाज़ भी खौफ खाते थे। भारत के चार विकेट गिर चुके थे और मैच का पांचवा दिन था, सामने वक़ार यूनिस और स्ट्राइक पर सचिन। पहली बॉल आई और सचिन के कान के पास से तेजी से निकल गई, तेंदुलकर कुछ समझ नहीं पाए। 16 साल के सचिन और लगभग 150 की प्रति घंटे की रफ़्तार से आती गेंद, इसी ओवर की तीसरी गेंद बाउंसर थी, जो सचिन की नाक पर लगी और उनकी नाक से खून बहने लगा, कुछ ही देर में टीम इंडिया की तरफ से स्ट्रेचर मैदान पर आ चुका था, उन्हें बाहर ले जाने के लिए, इसी दौरान जब सचिन से उनके सीनियर खिलाड़ी नवजोत सिद्धू ने  कहा कि तुम चाहो तो ड्रेसिंग रूम में जा सकते हो, इस पर उस 16 वर्षीय बालक का जवाब था, "मैं खेलेगा, मैं खेलेगा'। यह उस छोटे से सचिन का विश्वास था कि वह अपने देश के लिए खेलेगा और अगले ही ओवर में उसने इमरान खान की गेंद पर चौका जड़कर जता दिया था कि हिंदुस्तान को एक बेख़ौफ़ और जुझारू बल्लेबाज़ मिल चुका है। 

मेरे सपने में आते हैं सचिन:-

1998 चल रहा था, सचिन परिपक्व हो चुके थे और ऑस्ट्रेलिया, भारत दौरे पर आया हुआ था। इस दौरान दिग्गज स्पिनर शेन वॉर्न की लाइन लेंथ बिगड़ाने का जिम्मा सचिन पर था। इस दौरे पर सचिन ने जिस तरह ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों की धज्जियाँ उड़ाई थीं, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि, उन्होंने सात एकदिवसीय मैचों में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार शतकों की मदद से 88.71 की आश्चर्यजनक औसत से 621 रन स्कोर किए थे। वहीँ तीन टेस्ट मैचों में, उन्होंने 111.5 की औसत से दो शतकों की मदद से 446 रन बनाए थे। इसी दौरे के बाद फिरकी के जादूगर शेन वार्न ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सचिन तेंदुलकर उनके सपने में मेरे बॉल पर सर के ऊपर से छक्के लगाते हुए नजर आते हैं। वार्न द्वारा बताया गया यह वाक्या आज तक मशहूर है।

रो रहा था दिल, लेकिन टीम को दिलाई जीत :-

यह किस्सा है, 1999 के विश्वकप का। भारत अपना पहला मुकाबला साउथ अफ्रीका से हार चुका था।  अब हारने से भारत पर पिछड़ने का खतरा था और भारत को अगला मुकाबला जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलना था।  जिम्बाब्वे उस दौर में मजबूत टीम हुआ करती थी।  मगर जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच से पहले एक बुरी खबर आ गई कि सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर का देहांत हो गया है। वे फ़ौरन भारत वापस लौटे। इस मुकाबले में टीम इंडिया सचिन के बिना खेली और ज़िम्बाब्वे के हाथों उसे हार झेलनी पड़ी। भारत का अगला मैच केन्या से था और पूरा देश टीम को बाहर होने से बचाने के लिए सचिन की राह देख रहा था, इसी बीच सचिन ने समर्पण की एक नई इबारत लिखी।  वे अपने पिता का अंतिम संस्कार कर तुरंत टीम से जुड़े और केन्या के खिलाफ 101 बॉल पर तूफानी 140 रन ठोंककर भारत को 94 रन से जीत दिला दी। इस शतक के बाद उन्होंने अपना बल्ला आसमान की तरफ उठाया और शतक अपने दिवंगत पिता को समर्पित किया। 

जब पाकिस्तान के लिए खेले थे सचिन :-

 ये किस्सा है 1987 का, अभी तक सचिन का टीम इंडिया में आगमन नहीं हो पाया था। उन्होंने एक भी इंटरनेशनल मैच नहीं खेला था। उस समय पाकिस्तानी क्रिकेट टीम भारत दौरे पर आई हुई थी और मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में इमरान खान की कप्तानी वाली पाकिस्तानी टीम एक फेस्टिवल मैच में भारत के खिलाफ उतरी थी।  इस मुकाबले के दौरान एक ऐसा मौका आया, जब जावेद मियांदाद और अब्दुल कादिर लंच के बाद मैदान से बाहर आराम करने चले गए, लेकिन इस वजह से पाकिस्तानी टीम के पास फील्डर कम पड़ गए। इसके बाद सचिन को उनकी जगह पर पाकिस्तान के लिए फील्डिंग करने के लिए भेजा गया और पाक कप्तान ने उन्हें लॉन्ग ऑन पर फील्डिंग के लिए लगाया। आज भी बहुत कम लोग जानते हैं कि सचिन ने कभी पाकिस्तान के लिए भी फील्डिंग की थी। 


बता दें कि सचिन 200 अंतर्राष्ट्रीय टेस्‍ट मैच खेलने वाले विश्व के एकमात्र खिलाड़ी हैं।  केवल टेस्‍ट ही नहीं, बल्कि उनके नाम दुनिया में सबसे ज्‍यादा अंतर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैच खेलने का रिकॉर्ड भी है, सचिन ने 463 वनडे मुकाबले खेले हैं। क्रिकेट में सर्वाधिक शतक लगाने का रिकॉर्ड सचिन के नाम है, उन्होंने टेस्ट में 51 और वनडे में 49 लगाए हैं। रनों के मामले में भी मास्टर ब्लास्टर सबसे आगे हैं। उन्होंने वनडे में 18,426 और टेस्ट मैचों 15,921 रन बनाए हैं। आज इस महान खिलाड़ी के जन्मदिन पर हम उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं देते हैं। 

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