विपक्षी नेताओं को 'गिरफ़्तारी' का डर ? 14 पार्टियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सीएम केजरीवाल
विपक्षी नेताओं को 'गिरफ़्तारी' का डर ? 14 पार्टियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सीएम केजरीवाल
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नई दिल्ली: दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों ने सर्वोच्च न्ययालया में ED और CBI के दुरुपयोग को लेकर याचिका दाखिल की है. याचिका में छापेमारी और गिरफ्तारी के लिए गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को सुनवाई की तारीख निर्धारित की है. दरअसल, इन सभी 14 विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का काम दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया है. जिनकी पार्टी के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व जेल मंत्री सत्येंद्र जैन भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में बंद हैं। बड़ी बात तो यह है कि इस सूची में कांग्रेस भी शामिल है, जिसके सबसे बड़े नेता सोनिया गाँधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में मनी लॉन्डरिंग का केस चल रहा है। हालाँकि, 3 दिन पहले ही केजरीवाल ने AAP को नई कांग्रेस बता रहे एक पत्रकार को जवाब देते हुए कहा था 'गाली मत दो, हमें कांग्रेस नहीं बनना।' यानी केजरीवाल ने एक तरह से कांग्रेस को गाली तक बता दिया था, किन्तु जांच एजेंसियों की कार्रवाई से बचने के लिए अब तमाम विपक्षी दल एकजुट नज़र आ रहे हैं।

इन 14 पार्टियों में कांग्रेस और AAP के अलावा तृणमूल कांग्रेस (TMC), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), जनता दल यूनाइटेड (JDU), भारत राष्ट्र समिति (BRS), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), समाजवादी पार्टी (सपा), शिवसेना (उद्धव गुट), नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP), CPI, CPM और DMK का नाम शामिल हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पेशे से वकील अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है. वे मौजूदा जांच को प्रभावित करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं. 95 फीसदी मामले विपक्षी नेताओं पर हैं. वे गिरफ्तारी से पहले और बाद गाइडलाइंस बनाने की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि, विपक्ष ने यह कदम कांग्रेस के लोकसभा सांसद राहुल गांधी को सूरत कोर्ट द्वारा मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद उठाया है. अदालत का फैसला आने के बाद कांग्रेसी नेताओं ने उसके फैसले पर सवाल उठाए हैं. वहीं कांग्रेस ने शुक्रवार को विपक्षी पार्टियों की एक बैठक की है. बता दें कि, AAP के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया और BRS की के कविता शराब घोटाले मामले में जांच एजेंसियों के राडार पर हैं, वहीं RJD के लालू यादव और तेजस्वी यादव पर नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में जांच चल रही हैं. उधर, JMM नेता और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ खनन घोटाले का मामला चल रहा है। TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी की पार्टी के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी जेल में हैं, उन पर रिश्वत लेकर अवैध रूप से अयोग्य लोगों को शिक्षक की नौकरी देने के मामले में जाँच चल रही है, खुद ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी कोयला घोटाले में जांच का सामना कर रहे हैं। NCP प्रमुख शरद पवार की पार्टी के नेता नवाब मलिक भी भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं, उन्हें जमानत नहीं मिल रही है। 

इस तरह यदि देखा जाए, तो जितने विपक्षी दल केजरीवाल के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, उनमे से अधिकतर पार्टियों के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं, ऐसे में उन नेताओं में गिरफ़्तारी को लेकर भी कहीं न कहीं डर तो जरूर है। शायद यही कारण है कि, अदालत में खुद को बेकसूर साबित कर क्लीन चिट लेने के बजाए विपक्षी दलों के नेता जाँच एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट से गिरफ़्तारी के लिए गाइडलाइन्स बनाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई में नरमी आए।     

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