मंडी में 5 रुपए किलो मिला भाव तो भड़के किसान, नदी में फेंका एक ट्रक लहसुन
मंडी में 5 रुपए किलो मिला भाव तो भड़के किसान, नदी में फेंका एक ट्रक लहसुन
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मंदसौर/ब्यूरो रिपोर्ट:- मध्यप्रदेश में इन दिनों लहसुन की बंपर आवक के चलते उसके भावों में भारी कमी देखी जा रही है। 5 से 10 हजार क्विंटल तक बिकने वाली लहसुन के भाव वर्तमान में 5 सौ रुपए से भी कम है। मंदसौर की कृषि उपज मंडी में आ रहे किसान लहसुन के कम दाम मिलने से बेहद परेशान और नाराज है। वहीं सीहोर में किसानों ने उचित भाव न मिलने से नाराज होकर एक ट्रक लहसुन नदीं में फेंक दिया, जिसका वीडियो भी सामने आया है।

मंदसौर की कृषि उपज मंडी पूरे प्रदेश में बंपर आवक और नगद लेन-देन को लेकर जानी जाती है। लेकिन वर्तमान में यहां लहसुन किसान फसलों के उचित भाव न मिलने से परेशान है। यहां उज्जैन, रतलाम से लहसुन बेचने किसान आते हैं। जिनको वाहन का किराया भी नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी तरह यही लहसुन बाजार में अच्छे मुनाफे में बेची जा रही है। बाजार में सामान्य गुणवत्ता के लहसुन की कीमत 40 रुपए किलो है। किसान पीरूलाल ने बताया कि उन्होंने 6 बीघा में लहसुन की फसल बोई थी। जिसमें करीब 2 लाख 50 हजार की लागत आई। मंडी में 300-400 रुपए क्विंटल से ज्यादा लहसुन नहीं बिक पा रहा है। हालात ये है कि भाड़ा तक नहीं निकल पा रहा है।

वहीं किसान बंशीलाल का कहना है कि पानी की बोतल भी 20 रुपए की आती है। नमक की थैली 30 रुपए की आती है। लेकिन लहसुन 4-5 रुपए किलो में बिक रहा है। ऐसे में किराया भी नहीं निकल रहा है। उनका कहना है कि वे लहसुन लाए थे जिसके 700 रुपए क्विंटल के भाव मिले है। उन्होंने सरकार के दुगुनी आए के वादे पर भी तंज कसा है। किसान चंदन बघेरिया का कहना है कि पहले मंडी आते थे तो चाय और खाना रेस्टोरेंट में खा लिया करते थे। लेकिन अब टिफिन भी घर से लेकर आना पड़ रहा है। मैं 13 हजार रुपए क्विंटल में बीज लाया था। मैं मोबाइल में 7 हजार का भाव देखकर आया था। लेकिन यहां 700 रुपए क्विंटल खरीदी जा रही है। सरकार से मांग है कि गेंहू की तरह लहसुन के भी वह एक दाम निर्धारित किया जाए।

नदी में फेंक दिया एक ट्रक लहसुन:-
सीहोर जिले के ग्राम हिंगोनी में राजगढ़ के किसानों ने एक ट्रक लहसुन पार्वती नदी में बहा दिया। जिसका वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल, उचित दाम नहीं मिलने पर किसान नाराज है। किसानों ने सरकार से धान-गेंहू की तरह एक दाम फिक्स करने की मांग की है।

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