किसान बेटे की मौत पर नहीं मरता तो फसल की बर्बादी पर कैसे मर सकता है
किसान बेटे की मौत पर नहीं मरता तो फसल की बर्बादी पर कैसे मर सकता है
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दमोह : मध्यप्रदेश में सूखा और कर्ज से परेशान किसान बेबसी में मौत को गले लगा रहे हैं, मगर मंत्रियों के बेतुके बयान सामने आ रहे हैं। रहस्यमय व्यापम घोटाले से देश-विदेश में चर्चित शिवराज सरकार की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री कुसुम महदेले ने कहा कि जवान बेटे की मौत पर कोई किसान आत्महत्या नहीं करता तो फसल चौपट होने पर कैसे मर सकता है, हर मौत को फसल की बर्बादी से जोड़ना ठीक नहीं है। इन दिनों राज्य में सूखे का हाल जानने के लिए सरकार के मंत्री और अफसर गांवों में पहुंच रहे हैं।

इसी क्रम में मंत्री कुसुम दमोह जिले के पथरिया विकास खंड के किंद्रहो गांव पहुंचीं, जहां किसानों की बातें सुनकर वह भड़क उठीं। उन्होंने हर किसान की मौत की वजह सूखा और कर्ज बताए जाने पर सवाल उठाया। साथ ही सवाल किया कि क्या जवान बेटे की मौत पर कोई किसान आत्महत्या करता है? जब ऐसा नहीं है तब फसल की बर्बादी पर कोई ऐसा कदम कैसे उठा सकता है! अपनी संवेदना को घर के ताक पर रखकर आईं मंत्री कुसुम दमोह ने किसानों के बीच बेहद तल्ख अंदाज में अपनी बात कही, जिसे सुनकर पीड़ित किसान सन्न रह गए।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर जायजा लेने आईं मंत्री ने बाद में संभलते हुए आत्महत्याओं पर दुख जताया और मुख्यमंत्री का दिया मंत्र पढ़ा, "सरकार आपके साथ है। किसान धीरज रखें। इस संकट से उन्हें उबारा जाएगा।" मंत्री कुसुम महदेले ने चौपाल में किसानों के जख्मों पर मरहम की जगह नमक छिड़क गईं।

लेकिन उस किसान ललन यादव के घर भी जाना मुनासिब नहीं समझा, जिसने हाल ही में आत्महत्या की थी। मंत्री ने एक हादसे में घायल एक भाजपा कार्यकर्ता के घर पहुंचकर उसका हालचाल जानना जरूर मुनासिब समझा।

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