फसल को सूखे से बचाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है किसान
फसल को सूखे से बचाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है किसान
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फतेहपुर : किसानों के लिए उनकी फसल उनकी संतान की तरह होती है, जिसे बचाने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के किसान भी फसल को सूखने से बचाने के लिए मैदान में उतर आए हैं। वे असलहों के साथ रतजगा कर पानी की 'पहरेदारी' कर रहे हैं। बलपूर्वक नहरों में धारा काटकर पानी भी 'लूट' रहे हैं। यहां अब तक पानी लूटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बुंदेलखंड जैसे सूखे के हालात अब गंगा और यमुना नदी के दोआबा क्षेत्र में बसे फतेहपुर जिले के किसानों के हो गए हैं। वे खेतों में खड़ी धान की फसल सूखने से बचाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं।

हथियारबंद दर्जनभर किसान जहां दूसरे गांवों तक पानी न जाने देने के लिए रतजगा कर नहर और रजवाहों की पहरेदारी कर रहे हैं, वहीं नहरें काटकर पानी भी लूट रहे हैं। एक सितंबर को उसरहा खेड़ा गांव के पास निचली गंगा नहर की मुख्य नहर की धारा काटकर किसानों द्वारा पानी चुराने का मामला सामने आया था। इस मामले में जिलाधिकारी के आदेश पर 65 अज्ञात किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इससे बेखौफ रसूलपुर, डुड़रा और मयाराम खेड़ा गांव के कई किसानों ने पधारा गांव के पास शनिवार देर रात भी नहर की मुख्य धारा काट पानी चुराया। यही नहीं, रविवार को पुलिस के साथ नहर की धारा बंधवाने गए सिंचाई विभाग के एसडीओ और जेई को भी किसानों ने खदेड़ दिया। इससे पूर्व, सौंह और मलवां थाने के झाउ गांव के किसानों ने भी गंगा नहर का पानी लूटा था।

स्थानीय किसानों का कहना है कि निचली गंगा नहर में 13,00 क्यूसेकपानी छोड़ने का लक्ष्य है, लेकिन जिले को बमुश्किल एक हजार क्यूसेक पानी ही दिया जा रहा है। रामगंगा नहर में 500 क्यूसेक पानी भी नहीं छोड़ा जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान मजबूर हैं। वहीं, जिलाधिकारी पुष्पा सिंह ने कहा, "थानाध्यक्ष और खंड विकास अधिकारियों को नहर एवं रजवाहों की निगरानी करने के लिए कहा गया है। नहर की धारा काटकर पानी चुराने वालों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।" सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ओ.पी. चौधरी ने कहा, "किसान अराजकता पर उतर आए हैं। रोकने पर मारपीट पर उतारू हो रहे हैं।" निचली गंगा नहर के अधिशाषी अभियंता आर.के. गुप्ता ने कहा, "अब तक एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं, लेकिन किसान बेखौफ हैं।"(आईएएनएस)

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