पद्मावत विरोध के आगामी परिणाम
पद्मावत विरोध के आगामी परिणाम
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संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत मध्य युग के कवि मलिक मुहम्मद जायसी की अवधी भाषा के महाकाव्य पद्मावत पर बनी है. निर्माताओं का दावा है कि फिल्म 'पूरी तरह से काल्पनिक है. लेकिन करणी सेना इतिहास से छेड़छाड़ का दावा कर विरोध कर रही है. असल में मामला है क्या. दरअसल देश मौजूदा जातिगत बैर इसका सबसे बड़ा कारण है. आग और आग में घी दोनों इक्क्ठे किये गए और परिणाम सामने है. अवसरवादी भी भीड़ का हिस्सा हो गए उन्हें अन्य समुदाय को चोट पहुंचने का अवसर जो मिल गया.

कहा जा रहा है कि फिल्म तो राजपूतों का बखान ही करती है, करणी सेना पीछे हटने को तैयार नहीं है. क्या उनको कभी भी फिल्म से मतलब ही नहीं था. तो फिर आखिर सर बवाल कि जड़ क्या है. क्या सिर्फ ध्यान आकर्षण का मकसद था या कुछ और. करणी माता राठौर राजपूतों की 'कुल देवी' हैं. राजपूतों में इस तरह के 36 कुल हैं, जिनकी अलग-अलग कुलदेवियां हैं. बहरहाल फिल्म रिलीज़ भी हो चुकी है विरोध जारी है और सरकार और पुलिस प्रशासन देख रहा है.

इन सब से ये तो तय है कि भविष्य में इतिहासिक फिल्मो को बनाए और भारत के गौरवमय इतिहास को सुनहरे परदे पर लाने से पहले कोई भी निर्माता एक नहीं दस बार सोचेगा, और उसका ये मंथन दस मे से आठ बार उसे रोकेगा. ये एक कारण होगा इतिहासिक फिल्मो के न बनाये जाने का. क्योकि मौजूदा हालत में कोई भी इतना महंगा सौदा अब नहीं करना चाहेगा जो संजय लीला भंसाली कर बैठे.

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