बढ़ती जा रही कोरोना की मार से परेशान दुनियाभर के जाने माने डॉक्टर्स, खुद हो रहे मानसिक बीमारी का शिकार
बढ़ती जा रही कोरोना की मार से परेशान दुनियाभर के जाने माने डॉक्टर्स, खुद हो रहे मानसिक बीमारी का शिकार
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ब्रसेल्स: एक तरफ लगातार बढ़ता जा रहा कोरोना का कहर आज हर किसी की जान का दुश्मन बन बैठा है. और दूसरी और दुनिया के कोने कोने में बढ़ रही मौत अब डॉक्टर्स को भी हैरत में डाल रही है. इस वायरस के कहर के आगे आज न जाने कितनी जिंदगिया बर्बाद हो चुकी है. जंहा इस बात का आसान अब डॉक्टर्स के मानसिक संतुलन पर पड़ रहा है. वहीं दुनियाभर में मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. और अब तक कोरोना वायरस से लड़ने का कोई खास इलाज़ हाथ नहीं आ पाया है. 

डॉक्टर की मानसिक स्थिति पर पड़ रहा गंभीर प्रभाव: इटली और स्पेन के अस्पतालों के आइसीयू में मरीजों की संख्या में कमी जरूर आई है, लेकिन यहां काम करने वाले डॉक्टर और नर्से भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कहीं-कहीं तो ये लोग स्वयं को क्षति भी पहुंचा रहे हैं. इटली में दो नर्सो द्वारा आत्महत्या करने का मामला तो कुछ दिनों पहले का ही है. मनोवैज्ञानिक चिकित्साकर्मियों को ऑनलाइन मुफ्त परामर्श दे रहे हैं, लेकिन लोंबार्डी क्षेत्र के हेल्थ केयर ट्रेनिंग अकादमी के निदेशक डॉ. एलेसेंड्रो कोलंबो इसके पीछे एड्रेनालाइन हार्मोन में वृद्धि को बड़ी वजह मानते हैं. 

मरीजों की मौत का गंभीर असर : डॉ. एलेसेंड्रो का कहना है कि यह हार्मोन एक महीने तक सामान्य तरह से काम करता है, लेकिन अब दूसरा महीना शुरू हो चुका है, जिसके चलते ये लोग शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुके हैं. उनके प्रारंभिक शोध के अनुसार मरीजों की दशा का डॉक्टरों और नर्सों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. बरगामो के एक अस्पताल में नर्स फेरारी ने कहा, 'जब आप मरीज के लिए सब कुछ करते हैं और वह नहीं बचता है तो इसका गंभीर असर पड़ता है.' 

मरीजों को मरते नहीं देखना चाहते डॉक्‍टर : फेरारी की सहयोगी मारिया बर्डार्डेली ने कहा कि चिकित्साकर्मियों को मरीजों को मरते देखने की आदत नहीं है. जब ऐसा कई बार होता है तो उसका बहुत ही मनोवैज्ञानिक असर होता है. यह वायरस बहुत-बहुत मजबूत है. बता दें चिंता संबंधी विकारों और पोस्ट-ट्रॉमेटिक विकार वाले लोगों को एड्रेनालाइन की वृद्धि का अनुभव होता है जब उन्हें किसी ऐसी चीज की याद दिलाई जाती है, जो पिछले दिनों घटित हुई हो और जो उनकी भय की भावना को उकसाती हो. जब ऐसा प्रतिदिन कई बार या प्रति सप्ताह कई बार होता है तो यह हमारे शरीर और दिमाग पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.

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