गुमनामी बाबा के पिटारे से मिला चश्मा और घड़ी, जल्द होंगे सार्वजनिक
गुमनामी बाबा के पिटारे से मिला चश्मा और घड़ी, जल्द होंगे सार्वजनिक
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उतर प्रदेश: गुमनामी बाबा नाम का एक बहरुपिया एक बार फिर चर्चा में है। शुक्रवार को उनका पिटारा खुल गया, जिसे 10 सदस्यों वाली एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी ने खुलवाया। इस पिटारे को उनकी मौत के बाद यहां के खजाने में रखा गया था। इसमें एख गोल फ्रेम का चश्मा व रोलेक्स घड़ी मिली। कहा जा रहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी इसी तरह के चश्मे और घड़ी का इस्तेमाल किया करते थे।

इन सामानों को जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। फैजाबाद के डीएम योगेश्वर राम मिश्रा ने बताया कि गुमनामी बाबा के 32 पिटारे और कुछ झोले में टोटल 176 आइटम है। अभी तक 3 पिटारा और एक झोला खोला गया है। पिटारे से एक चश्मा मिला है। ये चश्मा गोल फ्रेम का है और ठीक वैसा ही है, जैसा नेताजी पहनते थे।

एक रोलेक्स घड़ी मिली है। ऐसी घड़ी नेताजी अपनी जेब में रखते थे। कुछ लेटर मिले हैं, जो नेताजी की फैमिली मेंबर ने लिखे हैं। कुछ न्यूज पेपर कटिंग मिली हैं, जिनमें नेताजी से संबंधित खबरें हैं। आजाद हिंद फौज का यूनिफॉर्म भी मिला है। थैले में से बांग्ला और अंग्रेजी भाषा के 8-10 साहित्य की किताबें भी मिली है।

सामानों को सार्वजनिक किए जाने को लेकर नेताजी की भतीजी ललिता बोस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मंच ने दो अलग-अलग रिट दायर किए है। इसी पर सुनवाई करते हुए हाइ कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिए थे कि गुमनामी बाबा के सामानों को संग्रहालय में रखा जाए। फैजाबाद जिले में एक योगी रहते थे, जिन्हें पहले भगवनजी और बाद में गुमनामी बाबा कहा जाने लगा।

मुखर्जी कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फैजाबाद के भगवनजी या गुमनामी बाबा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस में काफी समानताएं थीं। अयोध्या में गुमनामी बाबा के मकान मालिक रहे गुरु बसंत सिंह के बेटे शक्ति सिंह ने बताया, "यहां गुमनामी बाबा 1982 में रहने आए थे। 16 सितंबर 1985 को उनकी मौत हुई। उनसे जो मिलने आते थे, वे बहुत नॉर्मल लोग थे।

कभी-कभी कुछ लोग घर के पीछे से मिलने आते थे। वे आर्मी के भी हो सकते हैं और पॉलिटिशियन भी। जो भी मिलने आता था रात के अंधेरे में आता था और सुबह होने से पहले ही चला जाता था।

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