जब घर में जुड़वां बच्चो का जन्म होता है, तब पैर जमीन पर नहीं टिकते. साइंटिस्ट की इतनी प्रगति करने के बाद भी जुड़वां बच्चे कौतुहल का विषय है. जुड़वां बच्चो को लेकर कई भ्रांतिया है. लड़का और लड़की जुड़वां बच्चो के रूप में आईडेंडटीकल ट्वीन्स नहीं होते है. ट्वीन्स फ़्रेटंल तरीके से बनते है.
आईडेंडटिकल ट्वीन्स एक ही जेगोट से बनते है, आईडेंडटिकल ट्वीन्स व्यवहार, नाक-नक्श और शक्ल-सूरत में एक होते है जबकि फ़्रेटंल ट्वीन्स के साथ ऐसा नहीं है. जुड़वां बच्चो के जन्म के समय में फर्क होता है. यदि जुड़वां बच्चों की मां को हाइपर-ओव्यूलेशन जीन आनुवंशिकता में मिली होती है तो उनमें जेनेटिक कनेक्शन हो सकता है.
जुड़वां बच्चो में पारिवारिक लक्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए उनका व्यवहार जुड़वां बच्चों से अलग होता है. जुड़वां बच्चो के फिंगरप्रिंट्स एक समान होते है, ये सोचना गलत है. हर व्यक्ति की सरंचना में अंतर होता है. यह बात भी पूरी तरह से मिथ है, जुड़वा बच्चों की कोई सीक्रेट लेंग्वेज नहीं होती.
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