भारत में इन लोकप्रिय सोशल नेटवर्क को लेना पड़ सकता है लाइसेंस
भारत में इन लोकप्रिय सोशल नेटवर्क को लेना पड़ सकता है लाइसेंस
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मोदी सरकार सोशल मीडिया कंपनियों पर दोबारा सत्ता में आने के बाद दबाव बनाए रखेगी. डेटा लीक होने की घटनाएं सामने आने के बाद इन कंपनियों पर सरकार का दबाव है कि यूजर्स का डेटा देश में ही रखा जाए. सूत्रों का कहना है कि इससे जुड़ा नया कानून अगले महीने आ सकता है, जिसमें आईटी कंपनियों के लिए जरूरी बदलाव किए जाने का प्रस्ताव है.अगर कानून प्रभावी हुआ तो सभी विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में अपनी सेवा देने के लिए लाइसेंस लेना होगा. सोशल मीडिया कंपनियों ने अमेरिका की ट्रंप सरकार के माध्यम से भारत पर ऐसा नहीं करने का दबाव बनाया गया था. हालांकि, भारत ने अमेरिका से साफ कह दिया कि वह देशहित से जुड़े इस मामले में कोई समझौता नहीं करेगा. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से 

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जिन अहम मुद्दों पर हाल के दिनों में भारत-अमेरिका में टकराव हुआ था, उनमें सोशल मीडिया कंपनियों को देश के भीतर लाइसेंस लेने की शर्त को हटाने के अलावा चीनी कंपनी हुवावे पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी है. दरअसल सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से पूरा सहयोग नहीं देने के बाद केंद्र सरकार ने नए कानून बनाने की पहल की थी जिसमें कहा कि इन सभी कंपनियों को भारत से जुड़े यूजर्स का डेटा भारत में ही रखना होगा. सरकार का तर्क है कि ये कंपनियां देश में कानूनी प्रक्रिया से इसलिए बच जाती हैं क्योंकि इनका लाइसेंस देश में नहीं लिया गया है. लेकिन इसके लिए अब तक ये कंपनियां तैयार नहीं हो रही हैं. उनका तर्क है कि अगर भारत की मांग को मान लिया जाए, तो दूसरे देश भी ऐसी मांग करेंगे. सभी देशों में ऐसा करना संभव नहीं होगा. बता दें कि ज्यादातर सोशल मीडिया कंपनियां अमेरिका की हैं और उन्हें वहीं से लाइसेंस प्राप्त हुआ है. इनमें फेसबुक, ट्विटर जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. केंद्र सरकार और वॉट्सऐप के बीच भी पिछले कई महीनों से तनातनी चल रही है. सरकार वॉट्सऐप पर चलने वाले नफरत भरे और फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए आईटी ऐक्ट में बदलाव लाना चाहती है, जिससे कि उसे वॉट्सऐप पर चलने वाले मेसेज को ट्रैक करने का अधिकार हो. लेकिन फेसबुक की स्वामित्व वाली वॉट्सऐप कंपनी इसके लिए तैयार नहीं है. कंपनी ने सरकार से कहा है कि चूंकि वह यूजर्स की निजता से समझौता नहीं कर सकती है. इस कारण वह इसके लिए तैयार नहीं है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे​ कि गूगल ने भी सरकार से इसी तर्क के आधार पर डेटा साझा करने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा आम चुनाव से पहले सरकार का ट्विटर से भी विवाद हुआ था. जब संसदीय समिति ने उसपर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर दक्षिणपंथ वाले अकाउंट और कंटेट को ब्लॉक कर रही है. बाद में ट्विटर ने भरोसा दिलाया था कि वह इस मामले की समीक्षा करेगी. सूत्रों के अनुसार वही संसदीय समिति मौजूदा संसद सत्र में अपनी रिपोर्ट दे सकती है, जो इस मत से सहमति जताएगी कि इन कंपनियों की जिम्मेदारी भारत के कानून के तहत भी हो. भारत विकल्प तलाशने में भी जुटासोशल मीडिया कंपनियों से इन्हीं विवादों के बीच भारत इसका विकल्प भी तलाशने में जुट गया है. अभी सरकारी कामकाज और आपसी संवाद के लिए फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप का भी इस्तेमाल होता है. सूत्रों के अनुसार सरकार वॉट्सऐप की तरह अपना आपसी संवाद सिस्टम बनाने की कोशिश में है. जिसे खासकर सरकारी कामकाज के दौरान इस्तेमाल किया जा सके. पीएमओ के निर्देश पर ऐसा किया जा रहा है. इसके लिए पिछले हफ्ते अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक भी हुई जिसमें तमाम विकल्पों पर प्रस्ताव पेश किए गए.

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