मामूली भूकंप के झटके भी बन सकते है ग्लेशियर के लिए बड़ी परेशानी
मामूली भूकंप के झटके भी बन सकते है ग्लेशियर के लिए बड़ी परेशानी
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शिमला: हिमालय के क्षेत्रों में ग्लेशियरों के लिए छोटे भूकंप संकट बनता जा रहा है। ढाई से तीन रिक्टर स्केल तक भूकंप आना भी परेशानी का कारण बन सकता है। हलाकि इतनी कम तीव्रता के भूकंप महसूस नहीं होते हैं, लेकिन ये ग्लेशियरों में कंपन पैदा कर उनको कमजोर कर सकते हैं, जिससे ग्लेशियर धीरे-धीरे कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की दशा में ग्लेशियरों के टूटने का डर और भी तेजी से बढ़ने लगता है।

जंहा इस बात का पता चला है कि हिमालय के ग्लेशियरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने में छोटे भूकंप सबसे अधिक खरतनाक और हानिकारक हैं। जिसका अहम् कारण भारतीय प्लेट निरंतर एशियाई प्लेट की तरफ मिलीमीटर की दूरी में खिसक रही हैं। जिससे धरती के अंदर हलचल पैदा हो रही है। हिमालयी क्षेत्र इन दोनों प्लेटों के बीच स्थित होने से भूगर्भीय दृष्टि से अति संवेदनशील है। मिली जानकारी के अनुसार हिमालय पर्वत श्रंखला में हल्के भूकंप आते रहने से ग्लेशियर हिलकर कमजोर पड़ते जा रहे हैं और भविष्य में आपदा के रूप में तबाही फैलाते हैं। जिसके अतिरिक्त ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। पिछले कुछ दशकों में धरती का तापमान बढ़ने से गंगोत्री, पिंडारी, नंदाकिनी और मंदाकिनी ग्लेशियरों के पिघलने में तेजी आई है।

ज्यादा मानवीय हस्तक्षेप भी खतरनाक: विश्व शांति पुरस्कार प्राप्त पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट कहते हैं कि हिमालय वाले इलाकों में भूकंप, संवेदनशील क्षेत्रों में मानवीय हस्तक्षेप और धरती के बढ़ते तापमान से निरंतर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अगर पर्यावरण की अनदेखी नहीं रोकी गई तो ग्लेशियरों के अतिरिक्त बुग्यालों को भी हानि पहुंच सकता है। गढ़वाल विवि के प्रोफेसर डॉ. MS पंवार का बोला है कि भूकंप और मानवीय हस्तक्षेप बहुत हद तक हमारे ग्लेशियरों के लिए हानिकारक होता जा रहा  है। जरूरत है कि हम प्रकृति की ओर से प्रदान किए गए प्राकृतिक संसाधनों का अनियोजित दोहन न करें।

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