NSG विवाद के बाद अमेरिका चाहता है भारत-चीन के बीच स्वस्थ संबंध
NSG विवाद के बाद अमेरिका चाहता है भारत-चीन के बीच स्वस्थ संबंध
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वॉशिंगटन : न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे चीन के बीद एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि अमेरिका चीन और भारत के बीच स्वस्थ संबंध देखना चाहता है। दोनों को महत्वपूर्ण प्रभाव वाली अत्यंत मजबूत और उभरती अर्थव्यस्था करार देते हुए अमेरिका ने कहा कि हम दोनों देशों के बीच बेहतर द्विपक्षीय संबंध देखना चाहते है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि हम उनको काम करते देखना चाहेंगे भले ही उनके बीच कोई भी मतभेद हों। ये बातें किर्बी ने भारत के एनएसजी सदस्यता मुद्दे पर चीन के विरोध के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कह रहे थे। उन्होने कहा कि हमारा चीन के साथ मतभेद है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें हर बात में सहमत होना है।

भारत और चटीन दोनों देशों में बड़ी जनसंख्या रहती है। दोनों क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर एक पैठ बनाए हुए है। किर्बी ने कहा कि अमेरिका ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह एनएसजी के भीतर भारत के आवेदन पर गंभीरता से विचार होते देखना चाहता है। चीन अब भी भारत की सदस्यता के आड़े चट्टान बन कर खड़ा हुआ है।

बीती रात दक्षिणी कोरिया की राजधआनी सियोल में हुई बैठक में 48 सदस्यीय इस संगठन के सदस्यों में से 47 ने भारत का समर्थन किया है, जब कि चीन अब भी अपने फैसले पर अड़ा हुआ है। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने ताशकंद में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुालाकात की और एनएसजी के लिए समर्थन की अपील की।

मोदी ने जिनपिंग से कहा कि भारत के आवेदन पर चीन निष्पक्ष रवैया अपनाकर समर्थन करें। अब अगली मीटिंग शुक्रवार यानी आज होगी। जिसमें समर्थन पर फिर से चर्चा होने की संभावना है। जापान ने सियोल में भारत की सदस्यता का मुद्दा उठाया, लेकिन चीन ने इसका विरोध किया।

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