यूरोप में भी शक के दायरे में आया गूगल
यूरोप में भी शक के दायरे में आया गूगल
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नई दिल्ली : चीन में आई परेशानियों से अभी गूगल उबर भी नहीं पाया था कि अब उस पर यूरोप में संकट के बादल मंडराने लगे हैं. यूरोपीय कमीशन ने गूगल को साफतौर से कह दिया हैं कि वह ऑन लाइन शॉपिंग में अपने गैर जरुरी प्रभाव को कम करे. कमीशन का मानना हैं कि गूगल के सर्च रिजल्ट कुछ ख़ास कम्पनियों को बढ़ावा दे रहे हैं इससे बाजार पर गलत असर पड़ रहा हैं.

यूरोपीय कमीशन ने अपनी जाँच में पाया कि ऑनलाइन शॉपिंग करने के दौरान गूगल की सर्च रिजल्ट में कुछ खास कंपनियों की उपस्थिति को दूसरों से ज्यादा दिखाया है जो कि ठीक नहीं है. गूगल पर ये आरोप भी लगाया गया है कि उसने प्रतिद्वंदी सर्च इंजन के लिए भी जानबूझकर तकनीकी परेशानियां खड़ी की हैं.

यूरोपीय यूनियन के प्रतिस्पर्धा आयुक्त मार्ग्रेट वेस्टेयर ने कहा है कि गूगल को अपने प्रतिद्वंद्वियों को रोकने का कोई अधिकार नहीं है. कमीशन के अनुसार गूगल बेशक कई नए और अनोखे उत्पाद लेकर आया है, जिससे हमारे जीवन में बड़ा बदलाव आया है, लेकिन यह गूगल को दूसरी कंपनियों को कुछ नया करने और आगे बढ़ने से रोकने का कोई अधिकार नहीं देता है.

गूगल पर पहले से ही एंड्रायड ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिये अपने प्रभाव के ग़लत उपयोग करने के चलते अदालत में केस चल रहा है. बता दें कि गूगल पर आरोप है कि उन्होंने एंड्रायड इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के सामने भारी मांग रखकर प्रतियोगिता को ख़त्म करने की कोशिश की है.

इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए गूगल के प्रवक्ता ने कहा कि कम्पनी ने ऑन लाइन शॉपिंग की परिभाषा को ही बदल दिया हैं, जिससे यूरोपीय लोगों के जीवन में अच्छा खासा बदलाव आया हैं. कम्पनी मानती हैं कि प्रतियोगिता बढ़ी हैं. कमीशन के आरोपों का जवाब एक जाँच के बाद देने की बात कही गई.

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