नई दिल्ली। हैलोजन बल्ब द्वारा बिजली की भयंकर खपत और आर्थिक नुक्सान को गंभीरता से लेते हुए यूरोपीयन यूनियन ने अगले महीने से पुरे यूरोप में हैलोजन बल्ब के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पहले वो 2009 में गर्मी पैदा करने वाले नाइट बल्ब पर भी बैन लगा चुका है। यूरोपीयन सरकार के मुताबिक अब हैलोजन बल्ब की जगह एलईडी लाइट्स का ही इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते है भारत में भी हैलोजन बल्ब पर प्रतिबंध लगा कर लाखो करोड़ों रुपयों को बचाया जा सकता है।
क्या होता है हैलोजन बल्ब
दरअसल हैलोजन बल्ब एक पारदर्शी काँच का बल्ब होता है जिसे पुराने समय में बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था। हालाँकि सस्ते होने की वजह से इन बल्बों को आज भी अधिकतर गावों के साथ-साथ शहरों में भी कई जगहों पर किया जाता है।
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क्यों किया जा रहा है बैन
यूरोप सरकार द्वारा हैलोजन बल्ब पर बैन लगाने की मुख्य वजह है इन बल्ब के द्वारा बिजली की भयंकर खपत। एक रिसर्च के अनुसार यूरोप में हैलोजन बल्ब की वजह से हर साल 20 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन होता है।
विरोध भी कम नहीं
हैलोजन बल्ब पर प्रतिबंध लगाने के ईयू के फैसले का यूरोप में कई लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं। लोग इसे जबरन नियम थोपना कह रहे थे। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि LED बल्ब बहुत महंगे होते है और इस फैसले से गरीबो को बहुत परेशानी होगी।
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भारत में कितनी खपत
सस्ते होने की वजह से भारत में आज भी हैलोजन बल्ब बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किये जाते है। सरकारी अनुमान के मुतबिक भारत में हर साल 75 करोड़ से ज्यादा हैलोजन बल्ब ख़रीदे जाते है। ये बल्ब LED बल्ब के मुकाबले 80% ज्यादा बिजली खाते है। एक सर्वे के अनुसार भारत के सभी हैलोजन बल्ब को LED बल्ब से बदलने पर रोजाना 85 लाख किलोवाट बिजली बचाई जा सकती है। लेकिन सरकार ने इस ओर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
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