सम्मेद शिखरजी पर पर्यावरण मंत्रालय ने लिखा झारखंड सरकार को पत्र, की ये मांग
सम्मेद शिखरजी पर पर्यावरण मंत्रालय ने लिखा झारखंड सरकार को पत्र, की ये मांग
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रांची: जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने के निर्णय के विरोध में जैन समाज पूरे देश में प्रदर्शन कर रहा है। इस बीच झारखंड सरकार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने चिट्ठी लिखकर जैन समुदाय की ओर से जताई जा रही आपत्ति पर विचार करने के लिए कहा है।

वही ये चिट्ठी वन महानिदेशक सीपी गोयल ने शुक्रवार को झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को लिखा। चिट्ठी में उन्होंने कहा कि मंत्रालय को जैन समुदाय एवं अन्य व्यक्तियों से कई अभ्यावेदन मिल रहे हैं। इसमें बताया गया है कि पारसनाथ अभयारण्य जैन आध्यात्मिकता का गर्भगृह है। इसलिए वहां ईको-टूरिज्म जैसी गतिविधियों के आदेश ने उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। चिट्ठी में मंत्रालय से पारसनाथ अभयारण्य के आसपास इस प्रकार की गतिविधियों पर दोबारा विचार करने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने अभ्यावेदन की एक प्रति झारखंड सरकार को भेज दी है।

दरअसल, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर मौजूद सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ है। समुदाय के सदस्य पारसनाथ हिल्स में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रदेश सरकार के कदम का विरोध कर रहे हैं। सम्मेद शिखरजी को लेकर देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों की जड़ हाल ही में केंद्र एवं झारखंड सरकार की तरफ से जारी किया गया एक नोटिस है। केंद्र एवं झारखंड सरकार की तरफ से जारी किए गए नोटिस में सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने की बात कही गई है। जैन समाज के लोगों ने सरकारों की तरफ से जारी नोटिस को अपनी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात बताते हुए इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है।

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