मधुबनी: अब तक तो आपने किसान के बेटे का इंजीनियर बन जाने के बारे में सुना होगा लेकिन शायद पहली बार एक इंजीनियर के बेटे ने किसान बनने का फैसला किया है। हम बात कर रहे हैं मधुबनी के प्रगतिनगर के रहने वाले दिलीप महाराज नाम के युवक की। दिलीप महाराज के पिता नारायण महाराज पेशे से इंजीनियर हैं। इंजीनियर पिता अपने बेटे को भी इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन दिलीप महाराज की किस्मत में शायद कुछ और ही बनना लिखा था। बिहार के आम छात्रों की तरह दिलीप महाराज भी कुछ बनने का ख्वाब लेकर दिल्ली में पढ़ाई कर रहे थे।
पढाई खत्म होने के बाद उन्होंने प्राइवेट नौकरी की तरफ रुख किया। दिलीप जहां जॉब कर रहे थे वो कंपनी नेट हाउस और पॉलि हाउस के माध्यम से खेती करने का काम करती थी। दिलीप ने कंपनी के सामने इस तकनीक से बिहार में करने का प्रस्ताव दिया लेकिन पहले तो कम्पनी ने इनकार कर दिया। फिर दिलीप की काफी कोशिशों के बाद कम्पनी तैयार हुई और दिलीप ने पटना के समीप एक जमीन लीज पर ले कर जड़बेरा कि खेती शुरू किया। नतीजा सकारात्मक रहा और फिर उसके बाद तो मानो दिलीप को अपनी मंजिल मिल गई।
दिलीप ने ठान लिया कि अब वो पूरी तरह किसान बनेगा अब दिलीप का अगला लक्ष्य मधुबनी था। मधुबनी में तकरीबन दो एकड़ के नेट हाउस में शिमला मिर्च पान टमाटर व अन्य खेती कर रहे हैं। दिलीप का कहना है कि मुझे कोई अफसोस नहीं है कि मैं कुछ और नहीं बन पाया क्योंकि आज खेती करके मैं संतुष्ट हूं। दिलीप कह रहे हैं कि उनके दिमाग में पहले से ही ये बात चल रही थी कि उनको नौकरी नहीं करनी है। कुछ समय के लिये नौकरी करना पड़ा लेकिन उस नौकरी ने ही उनको कामयाबी का रास्ता दिखाया। खेती के दम पर एक सफल उद्यमी के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले दिलीप आज बिहार के लोगों के लिए मिसाल बन चुके हैं।
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