नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी का अहम योगदान है. चाहे वो कोई बड़ा डॉक्टर हो या फिर कोई नर्स, हर कोई अपनी तरफ से कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहा है. किन्तु राजस्थान के भरतपुर में एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है, जहां कोरोना टेस्ट का सैंपल लेने वाले कर्मचारियों को बीते चार महीने से वेतन ही नहीं मिला है, जो सवाल उठाता है कि कोरोना के खिलाफ जारी जंग कैसे आगे बढ़ पाएगी.
दरअसल, भरतपुर के जिला RBM अस्पताल के कोविड सेंटर में लगभग 50 अस्थाई कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें जनवरी से अब तक वेतन नहीं मिला है. कर्मचारियों ने अस्पताल के प्रशासन से लेकर जिला कलेक्टर तक से शिकायत की, किन्तु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हालात हैं कि अस्पताल का कहना है कि उनके पास सैलरी देने के लिए बजट ही नहीं है. बता दें कि ये कर्मचारी कोविड सेंटर में काम करते है जो कोरोना संक्रमण के नमूने लेते है. ऐसे में संक्रमण से अधिक खतरा सबसे पहले इन लोगों को ही होता है, जबकि इनको वेतन केवल सात हजार रुपये प्रतिमाह ही है, किन्तु वह भी समय पर नहीं मिल रहा है.
यहां के एक कर्मचारी सत्येंद्र सिंह का कहना है कि वो कोविड वार्ड में तैनात हैं, किन्तु इस साल की जनवरी से उन्हें वेतन नहीं मिला है. हमने अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन वेतन नहीं मिल पाया है. भरतपुर के इसी वार्ड में ट्रॉली पुलर कप्तान सिंह का कहना है कि वो लंबे समय से काम कर रहे हैं, लेकिन पैसे नहीं मिले हैं जिसकी वजह से काफी समस्या हो रही है.
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