Dec 10 2015 02:15 PM
लगातार पांचवें साल भारत को छोड़कर उभरते बाजार में नरमी दिखाई दे रही है. और यह दौर अनुमानित तुलना में ज्यादा लम्बा दिख रहा है. इस बात की जानकारी विश्वबैंक ने दी. विश्वबैंक ने अपनी रपट उभरते बाजारों की नरमी-कठिन समय में दी. रपट में कहा गया कि 2010 से ही उभरते बाजारों में वृद्धि होने से अंतराष्ट्रीय बाजारों में नरमी और पूंजी का प्रवाह ही धीमा हुआ है.
साथ ही जिससे मूल्यों में नरमी और अन्य कई चुनोतियो का प्रबाव भी पड़ा. इससे उत्पादकता में कमी आ गई है और राजनितिक अनिश्चितता बढ़ने से गरेलू समस्याओ में बढ़ोतरी हो गई है. विशेषज्ञ के अनुसार आर्थिक वृद्धि में गिरावट आ गई है जिससे गरीबी को दूर करने का लक्ष्य और भी ज्यादा मुश्किल हो गया है.
2010 से 2014 के दौरान वैश्विक वृद्धि में उभरते बाजारों का योगदान 60 प्रतिशत रहा है. वही वैश्विक बैंको ने कहा है कि कई उभरते बाजारों के द्वारा विशिष्ट क्षेत्रो में सुधार हुआ है. और यह नरमी भविष्य में भी बनी रह सकती है.
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