इंसानो से अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हाथी
इंसानो से अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हाथी
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बिलासपुर : बढ़ती आबादी और घटते जंगल के कारण वन्य जीवो के परिवेश में इंसानी दखल अंदाजी से प्रकृति का संतुलन भिगाड रहा है. हालत ये है कि वन्य जीवो से इंसानो कि झड़प आये दिन होती रहती है. भारत जैसे सघन आबादी वाले मुल्क में छत्तीसगढ़, असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल राज्यों में हाथी और इंसान के बीच अस्तित्व की जंग छिड़ गई है. बढ़ते दबाव के कारण हाथी हिंसक हो रहे है.

2013 से 2017 तक हाथियों के हमलों में 1,465 लोगों की मौत हुई,तो वही 100 से अधिक हाथी भी मारे गए. ये जानकारी अक्टूबर 2017 को वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने संसद में दी. इसके बाद तो अचनाक से तीन महीनो के बीच 40 हाथियों की मौत का चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया. दिसंबर 2017 में छत्तीसगढ़ के वनमंत्री महेश गागड़ा ने विधानसभा में बताया कि मानव-हाथी द्वंद में पिछले पांच सालों में 199 लोगों और 60 हाथियों की मौत हुई.

वहीं इसी अवधि में हाथियों ने करीब 7000 घरों को हाथियों ने तोड़ा व 32 हजार 9 सौ 52 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचाया. वन्यजीव विशेषज्ञ अमलेंदु मिश्र बताते हैं कि हाथियों के व्यवहार में आ रहा बड़ा बदलाव बेहद चिंतनीय है. यह बदलाव भोजन के लिए लगातार बढ़ते संघर्ष का परिणाम है.

 

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