मप्र में चुनावी साल, खजाने में नहीं है माल, शिवराज का बुरा हाल
मप्र में चुनावी साल, खजाने में नहीं है माल, शिवराज का बुरा हाल
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भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणाएं तो बड़ी-बड़ी कर दी पर उन्हें पूरा करने के लिए सरकार के खजाने में धन का अभाव अब समझ आ रहा है, तभी तो डेढ़ महीने में दूसरी बार दिल्ली पहुंचे शिवराज मोदी सरकार के आगे अपना हाल सुना रहे है और चुनावी साल में किये गए वादों के लिए धन की मांग कर रहे है. सूबे को अच्छे दिन की आस 2014 में आयी नरेंद्र मोदी सरकार से भी थी, लेकिन मध्यप्रदेश को फ़िलहाल बुरे दिनों में ही गुजारा करना पड़ रहा है.

भावान्तर योजना के तहत किसानों को दी जा रही राशि का पचास फीसदी हिस्सा, सूखा राहत का 28 सौ करोड़ की राशि, नाबार्ड रिफाइनेंस की 5384 करोड़ की राशि, राष्ट्रीय राजमार्गों के सुधार के लिए पांच सौ 72 करोड़ रूपये, केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी की राशि, ग्रामीण पेयजल योजना के तहत मिलने वाली करोड़ों की राशि, फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों को केंद्रीय अंश, बुन्देलखण्ड पैकेज, सर्वशिक्षा अभियान से जुड़े करोड़ों की राशि, जैसे कई एलान अभी धरातल पर नहीं आये है और सरकारी खजाना खाली है जो सरकार की चिंता का कारण बना हुआ है.

केंद्र से आश्वासन के सिवाय कुछ हाथ नहीं लग रहा है और साल चुनावी है ऊपर से विपक्ष की मुस्तैदी आग में घी का काम कर रही है. ऐसे में शिवराज के वादों की पोल खुलती जा रही है और जिन घोषणाओं को शिवराज हर मंच पर दोहराते आ रहे है, उन्हें पूरा करने में फ़िलहाल सरकार असमर्थ नज़र आ रही है. 

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