Dec 23 2015 01:59 PM
चंडीगढ़ : हरियाणा में खट्टर सरकार ने जब से पंचायत चुनाव और शहरी नगर निकाय चुनाव में शैक्षणिक योग्यता की घोषणा की है, तब से हालात बदले-बदले से है। लोग अपने अपने अनपढ़ बेटों की शादी करा रहे है और पढ़ी-लिखी बहू ला रहे है, ताकि बहू चुनावी मैदान में उतर सके। अचरज की बात ये है कि इस काम में दुल्हे बने लड़के की पहली पत्नी ही मदद कर रही है।
इसे ही कहते है सियासत का खुमार। हरियाणा के मेवात में ऐसे परिवार है जिनके पास कई सालों से प्रधानी की कमान थी, पर अटानक हुई इस घोषणा ने सबके कान खड़े कर दिए है। अब परिवार के लोग तो इतनी जल्दी शिक्षित नही हो सकते, ऐसे में घर में नया पढ़ा-लिका सदस्य लाने में ही इन्हें समझदारी लग रही है।
स्थानीय लोगो ने बताया कि इस साल जुलाई के बाद से करीब 50 शादियां ऐसी हुई है, जिनमें कई सालों से प्रधानी की सीट पर काबिज लोगो ने भावी दुल्हन के परिवार को प्रधानी की सीट का वादा कर शादी की है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार मेवात की साक्षरता दर सिर्फ 30 प्रतिशत है।
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