लखनऊ. जिन लोगो के हाथ में सुरक्षा की कमान दी जाती है अब वही आमजन पर धाक जमा रहे है। जो ताकत उन्हें अपराधियो के सामने दिखाना चाहिए अब आम नागरिकों को दिखा रहे। ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसमे पुलिस की गुंडई खुलकर सामने आई है। एक बुजुर्ग टाइपिस्ट से बदसलूकी और मारपीट कर उसका टाइपराइटर तोड़ना यूपी पुलिस के दारोगा को इतना महंगा पड़ा की उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
इस मामले की खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर फैलने लगी तो लखनऊ के एसएसपी राजेश पांडे ने कार्यवाही करते हुए दरोगा को तुरंत निलंबित कर दिया। वहीं, सीएम अखिलेश यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम राजशेखर और एसएसपी को पीड़ित से मुलाकात कर जरूरी मदद मुहैया करने का आदेश दिया है। साथ ही डीजीपी से कहा है कि वे पुलिस प्रशासन को ऐसा निर्देश जारी करें, जिससे की आम नागरिक को न्याय मिल सके।
मामला शनिवार का है जहा एक तरफ मुख्यमंत्री विधानसभा में अफसरों को गरीबों की सहायता करने की बात कर रहे थे, वहीं दूसरी और महज कुछ दूरी पर सचिवालय चौकी प्रभारी प्रदीप कुमार गरीबों पर वर्दी का रोब दिखा रहे थे। वह जीपीओ चौराहे पर उतपात मचाते हुए सड़क किनारे अपना पेट पालने के लिए दुकान चलाने वाले गरीबों का सामान अपने पैरो तले रोंद रहे थे और गरीबो को वहा से भागने पर मजबूर कर रहे थे। इसी दौरान पुलिस कर्मी ने उत्पात करते हुए वहां के एक टाइपिस्ट कृष्ण कुमार का टाइपराइटर हाथ से उठाकर जमीन पर फेंक दिया।
पीड़ित बुजुर्ग टाइपिस्ट हाथ जोड़कर अपनी रोजी-रोटी की गुहार लगता रहा लेकिन दारोगा का कलेजा नही पसीजा। दरोगा का तांडव यही नही रुका उसने आगे बढ़ते हुए सड़क किनारे चाय की दुकान लगाने वालों के बर्तन भी फेंक दिए जिसके कारण बर्तनो में रखा दूध वहां फैल गया। इससे गरीबों को हजारों का नुकसान हुआ।
जब वहा मौजूद मीडियाकर्मी पुरे घटनाक्रम की तस्वीरें निकल रहे थे तो इस दारोगा ने उनसे कहा, मेरा नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखना, जिससे एसएसपी भी मेरे बारे में जान सकें वही इस घटना पर लखनऊ के एसएसपी राजेश पांडे ने कहा- दारोगा ने जो किया वह गलत किया। उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है। हमने उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है और सीओ हजरतगंज अशोक कुमार वर्मा को जांच करने करने का आदेश दिया है वे एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।