लॉकडाउन में लोगों को खाने पीने के लिए थोड़ी सी मेहनत-थोड़ा सा जुगाड़ और तरो-ताजा सब्जी का उपहार. कश्मीर से लेकर मैदानी भागों तक किचन गार्डनिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. कोरोना से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन ने अधिकतर घरों के बाग, आंगनों और छतों की सूरत ही बदल दी है. जहां पहले गुलाब, डेफोडिल और ट्यूलिप जैसे रंग-बिरंगे फूल खिले होते थे, अब लौकी, टमाटर, बैंगन, भिंडी सहित अन्य सब्जियों के छोटे-छोटे पौधों की बहार है. कहीं अंकुरण शुरू हुआ है तो कहीं सब्जी आनी शुरू हो गई है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि एक तीर से कई निशाने साधे जा रहे हैं, किचन गार्डनिंग की देख-रेख में जहां अच्छा खासा व्यायाम हो रहा है तो वहीं मन भी बहल रहा है. इस तरह समय का सदुपयोग हो रहा है और घर बैठे ताजा सब्जियां मिलने से सब्जी की उपलब्धता से जुड़ी चिंता मिट रही है.कश्मीर में तो यहां मानो लोगों ने अपने बाग-आंगनों को छोटे खेत की शक्ल दे दी है. हर घर में सब्जी उगाई जा रही है. ट्यूलिप की खेती करने वाले किसान भी सब्जी उगा रहे हैं. आम लोग रिश्तेदारों या आसपड़ोस से बीज का जुगाड़ कर और यूट्यूब पर बागवानी सीख घर-आंगन में सब्जियां उगा रहे हैं.
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खूबसूरत राज्य कश्मीर में जिससे भी पूछो यही कहता है- यह (सब्जी उगाना) रिवायत थी, जिसे भूल गए थे, अब जमीन से जुड़कर इसकी अहमियत पता चली... शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान सौरा से सटे विचारनाग निवासी शिक्षाविद फारूक शाह ने अपने घर के आंगन को खेत में बदलना शुरू किया है. उन्होंने कहा- लॉकडाउन का पता नहीं कि कब तक खिंचे. सब्जियां तो रोज की जरूरत हैं, इसलिए गुजारे लायक सब्जी अगर घर में तैयार हो जाए तो बेहतर है.
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