म्यांमार में सेना की कठोरता से बचे हुए कुछ लोगों का कहना है कि सेना ने पढ़े लिखे रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाया है. इन बचे हुए कुछ लोगो का कहना है कि समुदाय के एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों, बुजुर्गों और मजहबी नेताओं ने एसोसिएटिड प्रेस से कहा कि बौद्ध बहुल म्यांमार से मुस्लिम रोहिंग्याओं को भागने के लिए चलाए गए अभियान में समुदाय के पढ़े-लिखे लोगों को अलग किया गया.
बताया जा रहा है कि उन्हें अलग तरीके से परेशान किया जाता था. उन्होंने कहा कि सैनिकों ने पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बनाया ता कि समुदाय में ऐसा कोई नेता न बाकी रह जाए जो जुल्म के खिलाफ अपनी आवाज उठा सके.
इन लोगों में से एक ने कहा ‘‘मेरा भाई सेना से अपनी जान बख्शने के लिए मन्नते करता रहा, माफी मांगता रहा. उसने अपना पहचान पत्र भी दिखाया कि वह एक शिक्षक है, लेकिन सरकार की योजना हमारे शिक्षित लोगों को मारने की थी. ’’ वही एक अन्य रहीम नाम के शख्श ने कहा में कई सैनिकों को जानता था क्योंकि वह स्थानीय बटालियन स्कूल में उनके बच्चों को पढ़ाता था. उसने जब सेना को आते हुए देखा तो वह भाग गया. रहीम ने कहा, वे मुझे ढूंढ रहे थे. वे जानते थे कि मैं लोगों के हक के लिए आवाज़ उठाता हूं.
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