Editor Desk: मोदी की शान या विपक्ष का प्लान?
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2019 के चुनाव से पहले बीजेपी की हर रणनीति को फेल करने के लिए विपक्ष अब पूरी तरह एकजुट होता दिखाई दे रहा है, इसका ताजा उदाहरण हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा उपचुनाव में देखने को मिला वहीं कर्णाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन से बनी सरकार के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में भी पूरा विपक्ष एक साथ मंच पर दिखाई दिया, अब बताया जा रहा है कि देश कि सभी लोकसभा सीटों में 400 ऐसी सीटें है जहाँ बीजेपी और विपक्ष का वन-टू-वन मुकाबला देखने को मिलेगा. 

वहीं इन ख़बरों के बीच एनसीपी नेता मजीद मेमन ने कहा कि "कश्मीर से तमिलनाडु तक, अब्दुल्ला से स्टालिन तक सभी गैर-बीजेपी दलों ने पुराने मतभेद भुलाकर एक साथ आने का निर्णय किया है." वहीं इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार जिस राज्य में जो पार्टी अपनी मजबूत शाख रखती है, उसे वहां से सभी पार्टियों का समर्थन मिलेगा, जिससे बीजेपी को हराना और भी आसान हो जाएगा. 

वहीं विपक्ष के इस गठबंधन को लेकर हाल में उत्तर प्रदेश के जो राजनीतिक हालात देखने को मिले है इससे कहीं-न-कहीं एनडीए के खेमे में भी खलबली मचती दिखाई दे रही है. जैसे हाल ही में उत्तर प्रदेश के कैराना, गोरखपुर, फूलपुर के उपचुनाव में देखने को मिला है. 

इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि काफी समय से सपा-बसपा में चल रहा मतभेद उत्तर प्रदेश में रोड़ा बन सकता है. लेकिन सोमवार को अखिलेश यादव ने ऐसी खबरों पर भी विराम लगाते हुए मीडिया को एक बयान दिया है. अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में अपनी मजबूत शाख रखते है, जिसके कारण मायावती-अखिलेश का गठबंधन यहाँ पर विपक्ष के लिए मिल का पत्थर साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है. 

हाल ही में, अखिलेश यादव ने कहा कि वो बीजेपी को हराने के लिए किसी भी पार्टी से गठबंधन करने को तैयार है. इतना ही नहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि वो सीटों के बंटवारे को लेकर किसी भी तरह का मतभेद नहीं चाहते. अखिलेश यादव की सपा 2019 चुनाव के लिए सीटों के समझौते को लेकर भी राजी होती दिखाई दे रही है. 

वहीं उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीट होने के साथ ही, बीजेपी से नाराज दलित,यादव और मुस्लिम वोट विपक्ष का लिए जीत का सूत्र साबित हो सकता है. वहीं बीजेपी के लिए हाल ही में आये कुछ राज्यों के चुनाव अहम माने जा रहे है. कुल मिलाकर 2014 में एक तरफा मोदी लहर के चलते बहुमत के सहारे सरकार में आई बीजेपी के लिए आने वाला चुनाव पिछले चुनाव जितना आसान नहीं होने वाला है. 

ऐसे में 2019 को देखने वाली बात यह होगी कि विपक्ष का गठबंधन समीकरण कितना कारगर साबित हो सकता है वहीं बीजेपी के लिए और चुनाव के किंग माने जाने वाले अमित शाह के लिए यह गले की हड्डी कितनी भीतर तक अटकी रहती है, इसका सही-सही अनुमान तो आने वाले कुछ समय में लग जाएगा. 

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