जमीन पर बैठकर खाने से होते हैं कई फायदे
जमीन पर बैठकर खाने से होते हैं कई फायदे
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जमीन पर बैठकर खाना न सिर्फ हमारी संस्कृति का हिस्सा है बल्कि सेहत के लिए भी वैज्ञानिक आधार रखता है. आज कल के लोग या तो टीवी के सामने बैठकर या बिस्तर पर बैठकर ही खाना पसंद करते हैं. भले ही, यह आपके लिए बहुत आरामदायक हो, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज भी कई घरों में खाना जमीन पर बैठ कर ही खाया जाता है. खाने का ये तरीका सेहत के लिए भी उपयोगी है.

जब भारतीय परंपरानुसार हम जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं तो उस तरीके को सुखासन या पद्मासन की तरह देखा जाता है. यह आसन हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभप्रद है.

इस तरीके से बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले भाग पर जोर पड़ता है, जिससे आपके शरीर को आरामदायक अनुभव होता है. इससे आपकी सांस थोड़ी धीमी पड़ती है, मांसपेशियों का खिंचाव कम होता है और रक्तचाप में भी कमी आती है.

भोजन करने के लिए जब आप पद्मासन में बैठते हैं तब आपके पेट, पीठ के निचले हिस्से और कूल्हे की मांसपेशियों में लगातार खिंचाव रहता है जिसकी वजह से दर्द और असहजता से छुटकारा मिलता है. इस मांसपेशियों में अगर ये खिंचाव लगातार बना रहेगा तो इससे स्वास्थ्य में सुधार देखा जा सकता है.

जमीन पर बैठना और उठना, एक अच्छा व्यायाम माना जाता है. भोजन करने के लिए तो आपको जमीन पर बैठना ही होता है और फिर उठना भी, अर्ध पद्मासन का ये आसन आपको धीरे-धीरे खाने और भोजन को अच्छी तरह पचाने में सहायता देता है.

जमीन पर बैठने के लिए आपको अपने घुटने मोड़ने पड़ते हैं. इससे आपके घुटनों का भी बेहतर व्यायाम हो जाता है, उनकी लचक बरकरार रहती है जिसकी वजह से आप जोड़ों की समस्या से बचते हैं.

क्रॉस लेग्स की सहायता से जमीन पर बैठने से आपके शारीरिक आसन यानि कि पोस्चर में सुधार होता है. स्वस्थ शरीर के लिए सही आसन बहुत जरूरी है, इससे आपकी मांसपेशियों को मजबूती मिलती है लेकिन साथ ही साथ रक्त संचार में भी सुधार होता है.

सही पोस्चर में बैठने से आपके शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है और साथ ही साथ आपको नाड़ियों में दबाव भी कम महसूस होता है. पाचन क्रिया में रक्त संचार का एक अहम रोल है. पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में हृदय की भूमिका अहम होती है. जब भोजन जल्दी पच जाएगा तो हृदय को भी कम मेहनत करनी पड़ेगी.

जब आपका हृदय, शरीर और मांसपेशियां स्वस्थ रहेंगी, आपके शरीर में रक्त का संचार बखूबी होगा तो जाहिर है यह आपकी दीर्घायु की गारंटी बन सकता है.

तो फिर अगली बार से जमीन पर बैठकर खाना खाने में शर्म महसूस मत कीजिए. वैसे भी हमारे पूर्वजों ने जिस परंपरा को बनाया है, वह गलत तो नहीं हो सकती इसलिए आवश्यकता है कि उनकी वैज्ञानिकता को समझकर व्यवहार करें.

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