लक्षद्वीप के लोग सालों से बीफ खा रहे हैं, हमारी खाने की आदत एक संवैधानिक अधिकार है: सांसद मोहम्मद फैजल
लक्षद्वीप के लोग सालों से बीफ खा रहे हैं, हमारी खाने की आदत एक संवैधानिक अधिकार है: सांसद मोहम्मद फैजल
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बीते कुछ सप्ताहों से केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप खबरों में बना हुआ है। तकरीबन 65,000 की आबादी वाला यह द्वीप प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल की हालिया निर्णयों की वजह से राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। स्थानीय लोग प्रशासन के नए प्रस्तावों को लक्षद्वीप की सामाजिक तथा सांस्कृतिक ढांचे पर संकट के रूप में देख रहे हैं। केरल में भी प्रफुल्ल पटेल के निर्णयों का निरंतर विरोध रहा है। वहीं लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल पीपी भी केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि प्रफुल्ल पटेल को वापस बुलाया जाए।

मोहम्मद फैजल ने चर्चा में कहा कि प्रशासन ने नए प्रस्तावों को लेकर किसी से कोई चर्चा नहीं की। ना ही सांसद और ना ही जिला पंचायत से कोई वार्ता हुई। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा मसला लक्षद्वीप डेवलेपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन (LDAR) ड्राफ्ट का है, इससे व्यक्तियों को डर है कि लोगों की भूमि छीनने का हक़ प्रशासन को प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा, लक्षद्वीप पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बेहद ही संवेदनशील क्षेत्र है। यदि इसे बरकरार नहीं रखा गया तो द्वीप नष्ट हो जाएंगे। प्रशासन 15-20 मीटर चौड़ी सड़कें बनाने की रणनीति बना रही हैं। यदि ये होता है तो कई नारियल के पेड़ काटने पड़ेंगे। प्रशासन वैसा विकास करना चाह रहा, जिसकी यहां आवश्यकता नहीं है। उनका लक्ष्य कॉरपोरेट को सहायता करने की है तथा इसलिए इस प्रकार के नियम बनाए जा रहे हैं। इनकी मंशा विकास नहीं, लोगों की भूमि पर कब्जा करना है।

दादर एवं नगर हवेली तथा दमन एवं द्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को बीते वर्ष दिसंबर में लक्षद्वीप की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके पश्चात् से ही वे लक्षद्वीप एनिमल प्रिजर्वेशन रेगुलेशन, लक्षद्वीप प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल ऐक्टिविटीज रेगुलेशन, लक्षद्वीप डेवलेपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन तथा लक्षद्वीप पंचायत स्टाफ रूल में संशोधन जैसे ड्राफ्ट ला चुके हैं। लक्षद्वीप एनिमल प्रिजर्वेशन रेगुलेशन के माध्यम से गोहत्या और बीफ के उपयोग पर रोक लगाने का आदेश है। इसे लेकर मोहम्मद फैजल ने अख़बार को कहा, लक्षद्वीप के लोग वर्षो से बीफ खा रहे हैं। हमारी खाने की लत एक संवैधानिक अधिकार है। प्रशासन का प्रस्तावित आदेश खाने की लत में हस्तक्षेप करने का प्रयास है। यहां के बच्चों के मिड-डे मील से नॉनवेज खाने को हटाया जा रहा है। यह हमारे संवैधानिक अधिकारों पर हमला है।

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